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What You Need to Know About Heart Disease

[vc_row][vc_column][vc_column_text] Introduction Heart disease is a prevalent yet preventable health concern. This blog sheds light on crucial insights and highlights the key risk factors associated with heart disease. Understanding these factors is vital for maintaining heart health. Understanding Heart Disease Risk Factors Heart disease, a leading global health concern, often stems from lifestyle choices. This article delves into the core risk factors—poor diet, physical inactivity, smoking, high blood pressure, obesity, and diabetes—shedding light on their profound impact on heart health. Poor Diet: Consuming high levels of saturated fats, cholesterol, and processed foods can lead to atherosclerosis and heart disease. Opt for a heart-healthy diet rich in fruits, vegetables, whole grains, and lean proteins. Physical Inactivity: Sedentary lifestyles contribute to obesity, high blood pressure, and elevated cholesterol levels. Regular exercise strengthens the heart and lowers the risk of heart disease. Smoking: Tobacco smoke contains harmful chemicals that damage blood vessels and heart tissues. Quitting smoking is one of the most impactful steps toward reducing heart disease risk. High blood pressure: Hypertension forces the heart to work harder, increasing the risk of heart attacks and strokes. Regular monitoring and lifestyle changes, such as a low-sodium diet, are crucial for managing blood pressure. Obesity: Excess weight strains the heart and is linked to conditions like diabetes and high blood pressure. Adopting a balanced diet and engaging in regular physical activity are key components of weight management. Diabetes: Uncontrolled diabetes accelerates the development of atherosclerosis and heart disease. Managing blood sugar levels through medication, diet, and lifestyle changes is essential. Understanding and mitigating these risk factors is pivotal to preventing heart disease. A holistic approach, encompassing a nutritious diet, regular exercise, and avoiding harmful habits like smoking, can significantly enhance heart health. Empower yourself with knowledge, make informed choices, and embark on a journey toward a heart-healthy lifestyle. Seeking Expert Advice in Your Locality: For individuals in Fatima Nagar, NIBM, Wanowarie, and Kondhwa, consulting a cardiologist is paramount. These specialists provide personalized advice and treatment plans based on individual health needs. Conclusion Prioritizing heart health involves understanding and addressing key risk factors. Residents in Fatima Nagar, NIBM, Wanowarie, and Kondhwa can take proactive steps by adopting a heart-healthy lifestyle and seeking guidance from experienced cardiologists in their locality. Remember, a healthy heart is the key to a vibrant life. [/vc_column_text][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column][vc_video link=”https://youtu.be/epOlD_f5VwM”][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column][vc_toggle title=”What are the primary risk factors for heart disease?”]Key risk factors include poor diet, physical inactivity, smoking, high blood pressure, obesity, and diabetes.[/vc_toggle][vc_toggle title=”How can I maintain a heart-healthy diet without compromising on taste?”]Opt for a diverse range of fruits, vegetables, whole grains, and lean proteins. Explore herbs and spices for flavor without excess salt or saturated fats.[/vc_toggle][vc_toggle title=”Is there a link between stress and heart disease?”]Yes, chronic stress can impact heart health. Adopt stress management techniques like meditation, yoga, or deep breathing exercises.[/vc_toggle][vc_toggle title=”Can heart disease be hereditary, and how can I assess my risk?”]Genetics can influence heart health. Consult with a healthcare professional to evaluate your family history and assess personalized risk factors.[/vc_toggle][vc_toggle title=” Are there alternative treatments or complementary therapies for heart disease?”]While lifestyle changes are fundamental, some explore complementary approaches like acupuncture or herbal supplements. Always consult with a healthcare professional before trying alternative therapies.[/vc_toggle][/vc_column][/vc_row]

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सर्दियों के दौरान 16 स्वस्थ भोजन अवश्य खाएं(16 Healthy Food Essentials During Winter in Hindi)

सर्दी वह मौसम है जब भारत में लोग इसके विविध शीतकालीन व्यंजनों और विशिष्टताओं का आनंद लेते हैं। बढ़ती भूख और धीमे मेटाबॉलिज्म के साथ, आपको अपने शरीर को ऊर्जा से भरने की जरूरत होती है। तो आज हम सर्दियों के दौरान 16 स्वस्थ भोजन अवश्य खाएं इस article में जानेंगे ऐसे 16 भोजन जो सर्दी में आपको स्वस्थ रखे सर्दियों के दौरान 16 स्वस्थ भोजन अवश्य खाएं(16 Must-Eat Healthy Foods During Winter) सर्दियों की शुरुआत के साथ ही ठंडी गुलाबी ठंडक में सैर करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगती है। यह सभी मौसमों में सबसे सुखद समय होता है, ताजी हवा और स्वस्थ वातावरण इस दौरान व्यायाम को शरीर के लिए अधिक फायदेमंद बनाते हैं। शरीर में नई कोशिकाओं का निर्माण तेज हो जाता है। सर्दियों का मौसम शरीर की मरम्मत और रख-रखाव के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इसलिए, अगर हमें आने वाले मौसम में फिट रहना है तो हमें वह पोषण लेना चाहिए जिसकी शरीर को जरूरत है। आजकल डेंगू और अन्य संक्रामक बीमारियाँ फैली हुई हैं। इस पर काबू पाने के लिए सर्दी सबसे अच्छा मौसम है। यह समय रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और अच्छे पाचन के लिए भी अच्छा है। इसलिए सर्दियों में आहार अधिक पौष्टिक होना चाहिए। अगर शरीर में सही मात्रा में ऊर्जा बनाए रखने वाले खाद्य पदार्थ लिए जाएं तो इस दौरान प्राप्त ऊर्जा हमें पूरे साल स्वस्थ रखने में काम आती है। आइए देखें इस दौरान क्या खाया जा सकता है. गुड़ खाये: चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल करना बेहतर है. यदि गुड़ की शिरा और शहद का प्रयोग किया जाए तो शरीर को अधिक गर्मी और खनिज मिलते हैं। बच्चों को उनका मनपसंद खाना गुड़ में बनाना चाहिए. गुड़ चीनी का विकल्प नहीं है, इसलिए जो लोग शुगर की समस्या से पीड़ित हैं उन्हें यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल किया जा सकता है। हरी सब्जियां: सर्दियों में मिलने वाली सब्जियां जैसे पालक और पत्तागोभी सेहत के लिए अच्छी होती हैं। जो Immune System को मजबूत कर सकता है. पालक और अन्य हरी सब्जियों में पाए जाने वाले कैरोटीनॉयड, बीटा कैरोटीन, ल्यूटिन और अन्य पोषक तत्व प्रतिरक्षा को बढ़ाते हैं और आपको सर्दियों के संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं। खट्टे फल खाये: हमारे Immune System को मजबूत करने के लिए Vitamine C और कई अन्य विशेष पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है और ये पोषक तत्व इस खट्टे फल में अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। सर्दियों में संतरा आपके Immune System के लिए बहुत फायदेमंद होता है, आप अपनी Immunity System को मजबूत बनाए रखने के लिए रोजाना एक संतरा या कोई अन्य खट्टे फल खा सकते हैं। Dry Fruits खाये: अगर आप अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाना चाहते हैं तो Dry Fruits का भी सेवन कर सकते हैं। बादाम, काजू, अखरोट और किशमिश जैसे सूखे फलों में प्रोटीन, पोटेशियम और कैल्शियम सहित कई आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं। Dry Fruits का सेवन करने से आप सर्दियों में बीमार होने से बच सकते हैं। Grains मतलब अनाज खाये: अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने के लिए अपने आहार में अनाज को शामिल करना महत्वपूर्ण है। यदि आप अपने आहार में साबुत अनाज को शामिल करते हैं, तो यह आपकी प्रतिरक्षा को मजबूत करने में भी मदद करेगा। क्योंकि यह मैग्नीशियम, आयरन और जिंक, विटामिन और प्रोटीन जैसे आवश्यक पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है। दूध से बने पदार्थ खाये: शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आहार में दूध, दही, पनीर और छाछ जैसे दूध से बने पदार्थ को शामिल करना जरूरी है। दूध से बने पदार्थ में Calcium से भरपूर होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। साथ ही, प्रोबायोटिक्स आदि Immune System को तेजी से मजबूत करने का काम करते हैं, जिससे आपको संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है। गरम मसाले खाये: भारतीय व्यंजनों में कई मसालों का इस्तेमाल किया जाता है. ये मसाले न सिर्फ आपके खाने का स्वाद बढ़ाते हैं बल्कि आपको कई स्वास्थ्य समस्याओं से भी बचाते हैं। ऐसे में आप सर्दियों में अपनी Immunity System को बढ़ाने के लिए अपने आहार में अदरक, हल्दी और दालचीनी को शामिल कर सकते हैं। इसमें सूजन-रोधी गुण होते हैं और यह आपको स्वस्थ रहने में मदद करता है। कींतु ध्यान रहे की गरम मसाले ज्यादा मात्रा में न खाये क्यूंकी इसकी ज्यादा मात्रा हमारे शरीर के लिये हानिकारक भी हो सकती है। शोरबा (soup) पिए: सर्दियों में स्वस्थ रहने के लिए खुद को ठंड से बचाना और गर्म रखना जरूरी है। ऐसे में सर्दियों के दौरान गर्म रहने के लिए आप टमाटर और सब्जियों से बने पौष्टिक सूप को अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं। यह आपको आवश्यक Vitamins और Minerals देने में मदद करेगा। ताजे और सूखे फल खाये: माना जाता है कि पपीता और अनानास गर्मी लाते हैं। आंवला विटामिन सी से भरपूर है और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए बहुत अच्छा है। इसीलिए सर्दियों में आंवले का जूस और आंवले का मुरब्बा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है। खजूर की प्रकृति गर्म होती है और सर्दियों के महीनों के दौरान इसकी अत्यधिक अनुशंसा की जाती है। ये न केवल Fiber, Iron, Magnesium, Calcium और Vitamine C और B3 का अच्छा स्रोत हैं, बल्कि ये ऊर्जा का भी अच्छा स्रोत हैं। उन्हें वैसे ही उपयोग करें जैसे वे हैं या उन्हें बर्फी, स्मूदी या मिल्कशेक और स्मूदी में जोड़ें। जड़ी-बूटियाँ धारक वनस्पती और बीज: तुलसी (तुलसी) एक जड़ी बूटी है जो सर्दी और बुखार से बचाती है और प्रतिरक्षा को मजबूत करने में मदद करती है। अदरक, (ताजा और सूखी किस्में) बहुत गर्म होती है। नींबू और नमक के साथ अदरक के टुकड़े भोजन के साथ खाना आम बात है, जबकि अदरक को चाय, दाल और सब्जियों में मिलाया जा सकता है। गुड़ और घी के साथ छोटी-छोटी कलछी में बना सोंठ का पाउडर सर्दियों की सर्दी से लड़ने के लिए बहुत अच्छा है। तिल के लड्डू और तिल की चिक्की को भारतीयों के लिए किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। जब आप

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Winterizing Your Knees: A Guide to Alleviating Cold-Weather Joint Pain

Introduction As the temperatures drop and winter sets in, many individuals find themselves grappling with a common issue: knee pain. Whether you’re an avid outdoor enthusiast or prefer to stay cozy indoors, the cold weather can exacerbate knee discomfort. Understanding the factors contributing to this pain and implementing strategies to alleviate it can make a significant difference. Inamdar Hospital offers comprehensive insights and solutions to help you bid farewell to winter knee woes. Understanding the Mechanism Cold weather can adversely affect the joints, particularly the knees, through various mechanisms. One key factor is the impact of temperature on joint fluid viscosity. In colder temperatures, the synovial fluid responsible for lubricating the joints tends to thicken, reducing its effectiveness. This can result in increased friction and discomfort during movement. Tips to Stop Knee Pain in Cold Weather: Stay Active: Engaging in regular, low-impact exercises helps maintain joint flexibility and strength. Activities like swimming, cycling, and yoga can be beneficial. Consult with a healthcare professional or a physiotherapist to design a customized exercise plan that suits your needs and condition. Keep Warm: Wearing appropriate clothing, including knee braces or thermal wraps, can help retain heat and prevent stiffness. Consider layering up and investing in high-quality thermal gear to keep your joints warm during outdoor activities. Maintain a Healthy Weight: Excess weight puts additional stress on the knees, contributing to pain. Adopting a balanced diet and regular exercise routine can help manage weight and reduce the strain on your joints. Seek guidance from a dietician for personalized nutrition advice. Hydrate: Staying well-hydrated is crucial for joint health. Adequate water intake helps maintain the viscosity of synovial fluid, promoting smoother joint movement. Limiting caffeine and alcohol consumption, which can contribute to dehydration, is also advisable. Joint-Friendly Supplements: Consulting with a healthcare professional about the potential benefits of joint supplements such as glucosamine and chondroitin is a prudent step. These supplements may support joint health and alleviate pain for some individuals. Inamdar Hospital: Your Partner in Joint Health For those seeking specialized care and guidance, Inamdar Hospital stands as a beacon of expertise. With a dedicated team of orthopedic specialists, physiotherapists, and nutritionists, Inamdar Hospital provides comprehensive solutions for managing and preventing knee pain, especially during cold weather. The hospital’s approach encompasses a combination of state-of-the-art medical interventions and holistic lifestyle recommendations. From diagnostic assessments to tailored rehabilitation plans, Inamdar Hospital prioritizes patient well-being, ensuring that individuals receive the most effective and personalized care. Conclusion Conquering knee pain in cold weather involves a multifaceted approach that combines physical activity, lifestyle adjustments, and, when necessary, professional medical guidance. By implementing these strategies and seeking support from healthcare experts like those at Inamdar Hospital, you can bid farewell to winter knee discomfort and embrace the season with comfort and mobility.

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Unraveling the Vital Role of a Physiotherapist

In the realm of healthcare, physiotherapists play a pivotal role in enhancing the well-being and quality of life of individuals of all ages. This is particularly true when it comes to pediatric care, where specialized professionals work tirelessly to address developmental challenges and promote optimal growth. Inamar Hospital, renowned for its commitment to excellence, stands as a beacon of hope for parents seeking the best pediatric physiotherapy care in Fatima Nagar, NIBM, Kondhwa, and Wanowrie. Understanding The Core Role of a Physiotherapist Physiotherapists, often referred to as physical therapists, are healthcare professionals trained to optimize movement and function. While their roles are diverse, one of the key areas where their expertise shines is in pediatric care. The best pediatric physiotherapy doctors in Fatima Nagar, NIBM, Kondhwa, and Wanowrie are crucial contributors to a child’s overall development. Roots To Wings Child Development Center at Inamar Hospital Inamar Hospital stands out as a premier healthcare institution, providing holistic Roots to Wings Child Development Center in Fatima Nagar, NIBM, Kondhwa, and Wanowrie. Within this center, physiotherapists play a central role in addressing developmental delays, motor skill challenges, and other conditions that may affect a child’s physical abilities. Assessment and Intervention The journey begins with a thorough assessment by skilled physiotherapists. By evaluating a child’s motor skills, coordination, and overall physical abilities, they can identify areas that require intervention. The best pediatric physiotherapists in Fatima Nagar, NIBM, Kondhwa, and Wanowrie at Inamar Hospital utilize evidence-based approaches to tailor interventions to each child’s unique needs. Tailored Treatment Plans Physiotherapists at Inamar Hospital understand that one size does not fit all when it comes to pediatric care. They craft individualized treatment plans that may include exercises, stretches, and activities designed to promote strength, flexibility, and coordination. These plans are not only effective but also enjoyable, ensuring that children remain engaged in their therapy. Collaborative Approach One of the distinguishing features of Inamar Hospital’s Child Development Center is its commitment to a multidisciplinary approach. Physiotherapists collaborate closely with other healthcare professionals, including pediatricians, occupational therapists, and speech therapists, to address all facets of a child’s development comprehensively. Family-Centered Care Recognizing the crucial role families play in a child’s development, physiotherapists at Inamar Hospital involve parents and caregivers in the therapeutic process. They guide home exercises and offer support to empower families to actively participate in their child’s well-being. Holistic Growth Beyond addressing specific challenges, the best pediatric physiotherapists in Fatima Nagar, NIBM, Kondhwa, and Wanowrie at Inamar Hospital contribute to the holistic growth of children. By fostering improved motor skills, physical confidence, and overall well-being, they pave the way for children to reach their full potential. Conclusion In conclusion, the main role of a physiotherapist in pediatric care is to be a catalyst for positive change, promoting optimal development and well-being. Inamar Hospital, with its esteemed team of physiotherapists, stands as a beacon of excellence, providing unparalleled care for children in Fatima Nagar, NIBM, Kondhwa, and Wanowrie. For parents seeking the best for their children, Inamar Hospital’s Child Development Center is a testament to the transformative power of expert pediatric physiotherapy.

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Understanding the Diagnosis of Hernia

Introduction Hernias are common medical conditions that occur when an organ or tissue protrudes through a weak spot in the surrounding muscles or connective tissue. Early diagnosis is crucial for effective treatment. Inamdar Hospital, renowned for general surgery in Fatima Nagar, NIBM, Kondhwa, and Wanowrie, provides expert care for hernia patients. Let’s delve into the diagnostic process for hernias. Clinical Evaluation The journey to diagnose a hernia often begins with a comprehensive clinical evaluation by skilled general surgeons. Patients at Inamdar Hospital are fortunate to have access to some of the best general surgeons in Fatima Nagar, NIBM, Kondhwa, and Wanowrie, ensuring a thorough examination. During the clinical assessment, the surgeon will discuss the patient’s medical history, including any symptoms, previous surgeries, or family history of hernias. A physical examination follows, where the doctor checks for visible bulges or lumps, listens to the patient’s description of symptoms, and assesses any pain or discomfort. Imaging Studies In some cases, additional diagnostic tools are employed to confirm the presence of a hernia and determine its size and location. Imaging studies play a crucial role in this regard. Commonly used techniques include: Ultrasound: A non-invasive and painless procedure, ultrasound is effective in visualizing hernias in the abdominal wall. It helps identify the hernia’s location, size, and any associated complications. CT Scan: Computed tomography (CT) scans provide detailed cross-sectional images of the abdominal area. This imaging technique is particularly useful in complex cases or when the surgeon needs a more comprehensive understanding of the hernia. MRI: Magnetic resonance imaging (MRI) may be recommended for a detailed view of soft tissues. While not as commonly used as ultrasound or CT scans, MRI can offer valuable insights, especially in specific clinical situations. Diagnostic Laparoscopy In some instances, when the diagnosis remains unclear despite other diagnostic methods, a diagnostic laparoscopy may be performed. This minimally invasive procedure involves inserting a small camera into the abdominal cavity through a tiny incision, allowing the surgeon to directly visualize and assess the hernia. Inamdar Hospital’s Approach Patients seeking diagnosis and treatment for hernias at Inamdar Hospital benefit from the expertise of the Best General Surgeons in Fatima Nagar, NIBM, Kondhwa, and Wanowrie. The hospital employs state-of-the-art diagnostic tools and techniques to ensure accurate and timely identification of hernias. Conclusion A timely and accurate diagnosis is fundamental for effective hernia management. Inamdar Hospital, recognized for its excellence in General Surgery in Fatima Nagar, NIBM, Kondhwa, and Wanowrie, stands as a beacon of healthcare, offering expert diagnosis and comprehensive treatment options for individuals dealing with hernias. If you suspect a hernia or are experiencing symptoms, seeking prompt medical attention at Inamdar Hospital ensures you receive the best possible care from highly skilled and experienced general surgeons.

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मुलांमध्ये गिळण्याची समस्या येण्याची सामान्य कारणे कोणती आहेत(Swallowing Problems in Children in Marathi)?

नवजात शिशुंमध्ये किंवा बालपणाच्या कोणत्याही टप्प्यावर उद्भवणारी महत्त्वाची समस्या म्हणजे गिळण्याचा विकार. यालाच डिसफॅगिया असं म्हटलं जात. एखाद्या बालकाला द्रव पदार्थ किंवा अन्नपदार्थ घेताना त्रास होतो तेव्हाही समस्या असू शकते. अशा मुलांना केवळ द्रव पदार्थच नव्हे तर तोंडातील लाळ ही घेण शक्य होत नाही शिवाय गिळतांना त्यांना वेदनाही  होतात. त्यामुळे त्यांना पोषक द्रव्य मिळण्यापासून ते वंचित राहतात स्वाभाविकच या सगळ्याचा मुलांच्या शारीरिक वाढीवर आणि वजन वाढीवर प्रतिकूल परिणाम झालेला दिसतो. डिसफॅगिया म्हणजे आहार घेणे किंवा गिळण्यात अडचण. हे एक लक्षण आहे, रोग नाही. ओरल डिसफॅगिया म्हणजे अन्न किंवा द्रव नियंत्रित करण्यासाठी तोंड, ओठ आणि जीभ वापरण्याच्या समस्या. घशातील डिसफॅगिया म्हणजे गिळताना घशातील समस्या. डिसफॅगिया एखाद्या व्यक्तीला कोणत्याही वयात, लहान मुलांपासून वृद्धांपर्यंत प्रभावित करू शकतो. डिसफॅगियाची(मुलांमध्ये गिळण्याची समस्या) कारणे डिसफॅगियामध्ये तोंड, घसा किंवा अन्ननलिकेतील रचनेच्या समस्यांचा समावेश होतो. यामध्ये आहार आणि गिळण्यासाठी वापरल्या जाणार्‍या स्नायू किंवा मज्जातंतूंना नुकसान करणाऱ्या परिस्थितींमुळे देखील उद्भवू शकते. खालील काही कारणामुळे मुलांमध्ये गिळण्याची समस्या होऊ शकते. सेरेब्रल पाल्सी(Cerebral Palsy) मेंदूला काही इजा असल्यास  जन्मजात दोष फाटलेले टाळू न्यूरोमस्क्युलर रोग हृदय किंवा फुफ्फुसाची स्थिती डोके किंवा मान कर्करोग प्रीमॅच्युर जन्म  ब्रेन स्ट्रोक डिसफॅगिया(Dysphagia) या विकाराचं कारण म्हणजे मानवाला गिळण्याच्या प्रक्रियेसाठी ज्या स्नायूंची आणि नर्व्हची गरज असते अशा सुमारे 50 स्नायूंच्या जोड्या आणि 6 क्रॅलियल नर्व्ह हे एकत्र काम करतात या दोन्ही गोष्टी एकत्र जोडीने काम करण्याच्या प्रक्रियेत काही गफलत किंवा चूक झाली तर डिस फॅगिया हा विकार उद्भवू शकतो आणि तो वयाच्या कोणत्याही टप्प्यावर होऊ शकतो गिळण्याच्या प्रक्रियेचे प्रमुख चार टप्पे असतात त्यापैकी एक किंवा अधिक टप्पा योग्यरित्या कार्यरत होऊ शकत नसतो तेव्हा हा विकार होतो. या विकाराची लक्षणे किंवा कारण ही व्यक्ती परत्वे वेगवेगळी आढळतात तरीही खाताना किंवा गिळताना त्रास होणे वेदना होण हे याचं महत्त्वाचं लक्षण आहे. मुलांमधील हा विकार ओळखण्यासाठी त्याला आहार घेताना काही त्रास होतो आहे का याकडे तसेच त्याच्या तोंडाच्या घशाच्या स्नायूंच्या हालचालीकडे लक्ष ठेवावे लागते त्याचबरोबर विशेष प्रकारच्या क्ष-किरण तपासणीची किंवा एंडॉस्कॉपी तपासणीची आवश्यकता असते.  सामान्यपणे सर्वच वयोगटात गिळतांना त्रास होण्याची समस्या आढळण्यामागे सर्दी, घसा खवखवणे, घसा बसणे, टाॅन्सील्स, घशाला सुज असणे, किंवा जंतू संसर्ग ही देखील कारणे असतात. परंतू या लक्षणांवर ऊपाययोजना होऊन सुद्धा समस्या कायम असेल तर, तांत्रिकदृष्ट्या प्रगत असलेली “बेरियम स्वॅलो” ही तपासणी केली जाते. या चाचणीतुन डिस्फॅगियाच निदान करण शक्य होत. काहीवेळा अन्ननलिकेतील दोष, किंवा कर्करोगासारखे गंभीर आजारही या समस्येच्या मुळाशी कसु शकतात. अस असल तरी वैद्यक शास्त्रातीलप्रगत तंत्रज्ञानामुळे या समस्येच शोधन, निदान आणि ऊपाययोजना करता येऊ शकते. त्यामुळे लवकरात लवकर तज्ञांचा सल्ला घ्या. Roots To wings Child Development Center At Inamdar Multispecialty Hospital पुण्यातील रूट्स टू विंग्स चाईल्ड डेव्हलोपमेंट सेंटर इनामदार मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल (Inamdar Multispecialty Hospital, Pune) हे एक लहान मुलांच्या आजारासंबंधित तक्रारींवर अत्याधुनिक सेवा देणारे व कमी खर्चात सर्वोत्कृष्ट आरोग्यसेवा प्रदान करणारे  हॉस्पिटल आहे. येथे असणारी डॉक्टरांची टीम ही लहान मुलांच्या मानसिक आजारावर उपचार करतात आणि पूर्णपणे समर्पण देऊन काम करणारी म्हणून ओळखली जाते. रुग्णाची काळजी घेणे व त्यांच्या कुटुंबाला आधार देणे यासाठी हॉस्पिटलची सर्व टीम वचनबध्द आहे. वेळेत औषध उपचार करून रुग्णाला लवकरात लवकर आराम पडावा यासाठी रुग्णाची कुटुंबासारखी काळजी घेतली जाते. पुण्याच्या केंद्रस्थानी असलेले आणि अत्याधुनिक पायाभूत सुविधा असलेले रूट्स टू विंग्स चाईल्ड डेव्हलोपमेंट सेंटर इनामदार मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल लहान मुलांच्या सर्व आजारांवर उत्कृष्ट आरोग्यसेवा प्रदान करते.

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क्या है बच्चों के लिए कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरिपी? (Cognitive Behavioral Therapy for kids)

Cognitive Behavioral Therapy (सीबीटी) एक टॉकिंग थेरेपी है जो आपके सोचने और व्यवहार करने के तरीके को बदलकर आपकी समस्याओं को प्रबंधित करने में मदद कर सकती है। इसका उपयोग आमतौर पर चिंता और अवसाद के इलाज के लिए किया जाता है, लेकिन यह अन्य मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए भी उपयोगी हो सकता है। सीबीटी तकनीकों के उदाहरण जैसे  भीड़ भरे सार्वजनिक स्थान पर जाना और वहा  अपने आप को उन स्थितियों में उजागर करना जो चिंता का कारण बनती हैं, । पूरे दिन अपने विचारों के बारे में जर्नलिंग करना और अपने विचारों के बारे में अपनी भावनाओं में बह जाना। जब कोई  बच्चा दर्द या चिंता का अनुभव करता है, तो उनके विचार और भावनाएं चिंता को बढ़ा सकती हैं। ये विचार बिगड़ते दर्द, ख़राब मूड, निष्क्रियता, चिंता या अवसाद में बदल सकते हैं। सीबीटी के मदत से  बच्चे का  दर्द नियंत्रण से बाहर होने से पहले रोका जा सकता है।इतनी सारी जानकारी लगातार हमारे दिमाग में प्रवेश करने के साथ, हम हर चीज़ को संसाधित करने के लिए अपनी सोच में शॉर्टकट विकसित करते हैं। लेकिन कभी-कभी ये शॉर्टकट हमें तनावपूर्ण या अनुपयोगी निष्कर्ष पर ले जाते हैं। सीबीटी के माध्यम से, चिकित्सक आपके बच्चे से बात करते हैं ताकि उन्हें अनुपयोगी मानसिक शॉर्टकट की पहचान करने और सोचने के बेहतर रास्ते बनाने में मदद मिल सके। सीबीटी को अक्सर दवा के साथ जोड़ा जाता है। इसका इलाज करने के लिए प्रयोग किया जाता हैl कॉग्निटिव बिहेवियरल  थेरेपी(Cognitive Behavioral Therapy) का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य विकारों की एक विस्तृत श्रृंखला के इलाज के लिए किया जा सकता है जैसे: चिंता अशांति जुनूनी-बाध्यकारी विकार (ओसीडी) अवसाद आतंक विकार फोबिया जी मिचलाना खुद को नुकसान पहुंचाना खाने के विकार मादक द्रव्यों का सेवन क्रोध की समस्या  उपरोक्त सभी मानसिक विकारों के इलाज में व्यवहार थेरेपी ने प्रभावी परिणाम दिखाए हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि कई व्यवहार संबंधी उपचारों के बीच, संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी ने लगभग 75% लोगों में सफल परिणाम दिखाए हैं। सीबीटी का सबसे महत्वपूर्ण मुख्य घटक बच्चों और किशोरों के साथ व्यवहार करते समय हासिल करना सबसे कठिन हो सकता है। बच्चे की भाषा और संचार क्षमता चिकित्सीय प्रक्रिया में बाधा बन सकती है, क्योंकि सीबीटी के लिए न्यूनतम स्तर की संज्ञानात्मक और भाषाई क्षमता के साथ-साथ मौखिक तर्क की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, सीबीटी को मध्य-बचपन या बड़े बच्चों के लिए अधिक उपयुक्त माना गया हैl  सीबीटी का उद्देश्य समस्या-समाधान क्षमताओं में सुधार करना और आपके बच्चे को भविष्य में चुनौतियाँ आने पर सामना करने का कौशल प्रदान करना है। सफल सीबीटी के बाद कुछ बच्चे चिंता और अवसाद के लिए दवाएँ लेना बंद कर सकते हैं।  इसलिये बच्चो के लिये सही समयपर इस थेरपी का उपचार ले |

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Speech Therapy : मुलांना बोलण्यात येणारी अडचण स्पीच थेरपीने करा दूर करा हे उपाय

स्पीच थेरपी हे एक  वैद्यकीय शास्त्र आहे, ज्यामध्ये स्पीच थेरपिस्ट अशा मुलांवर किंवा प्रौढांवर उपचार करतो जे सामान्यपणे संवाद साधू शकत नाहीत. सामन्यात: जेव्हा मुलांचे भाषिक ज्ञान नीट विकसित होत नाही, तेव्हा अशा थेरपीमध्ये त्यांना नीट संवाद साधणे, मुलांचे उच्चार सुधारणे, बोलण्याशी संबंधित स्नायू बळकट करणे इत्यादी गोष्टी शिकवल्या जातात. स्पीच थेरपी मध्ये  २०२० च्या आधी  बोलण्याची समस्या असलेल्या मुलांची संख्या सुमारे 30% होती, पण नंतर  महामारीच्या काळात  ती 50% पर्यंत वाढली. ज्या रुग्णांना बोलण्यात आणि ऐकण्यात त्रास होतो त्यांच्या  समस्या स्पीच थेरपिस्ट दूर करतात. त्याच्या क्षमतेने, तो त्या मुलांना स्नायूंचा व्यायाम करण्यास मदत करतो. बोलणे त्यामुळे मुलाला बोलण्यात आत्मविश्वास येतो. मुलांना बोलण्यात येणाऱ्या अडचणीचे कारण काही मुलांची ही समस्या अनुवांशिक असू शकते जन्माच्या वेळी मुलाच्या मेंदूला दुखापत झाल्यामुळे बाळाची पूर्ण वाढ न झाल्यास किंवा योग्य वेळेपूर्वी झालेला जन्मामुळे मुले उशिरा रडतात गरोदरपणात आईला कावीळ किंवा अन्य आजार झाल्यास  मुलांमध्ये ऐकण्याच्या समस्या असल्यास जंतू संसर्गामुळे मुलांमध्ये सेरेब्रल पाल्सी झाल्यास ब्रेन स्ट्रोक स्पीच थेरपी कशी असते? साधारणपणे, स्पीच थेरपी दोन प्रकारे केली जाते. लहान मुले आणि प्रौढ दोघांचाही त्यात समावेश आहे. स्पीच थेरपीच्या माध्यमातून मुलांना त्यांच्या भाषेवर विविध प्रकारे भर दिला जातो, जेणेकरून बालक प्रभावित होऊन त्यांना बोलण्यात मदत होईल. जेणेकरून मुल त्याच्या सर्व समस्या विसरू शकेल आणि थेरपिस्टकडे लक्ष देऊ शकेल. त्यामुळे मुलांना विविध प्रकारचे खेळ खेळून भाषा शिकवण्याचा आणि समजावून सांगण्याचा प्रयत्न केला जातो. सुरुवातीच्या काळात मुलाच्या पालकांनी चांगल्या स्पीच थेरपिस्टची मदत घ्यावी. कारण स्पीच थेरपिस्ट मुलाच्या सवयी चांगल्या प्रकारे समजून घेतो.स्पीच थेरपिस्ट कोणतीही दुर्घटना घडली आहे की नाही हे शोधण्यासाठी सर्वतोपरी प्रयत्न करतो, कारण काहीही असो, आणि त्या आधारावर, समस्या सोडवतो. अनेक प्रकरणांमध्ये, डॉक्टर तोंडाच्या आणि घशाच्या स्नायूंची तपासणी करतात आणि समस्या असल्यास, ते व्यायाम, पौष्टिक आहार किंवा बोलण्याच्या पद्धतीद्वारे समस्या सोडवण्याचा प्रयत्न करतात. स्पीच थेरपी मध्ये वेगवेगळ्या वयोगटातील मुलांसाठी पहिली गोष्ट म्हणजे समस्येचा प्रकार आणि पातळी निश्चित केली जाते. मग तो समस्येवर उपाय करण्यासाठी अनेक  पद्धतींपैकी मुलाच्या आधारावर विशेष पद्धती निवडली जाते . यासाठी तो अशा प्रयोगांची आणि खेळांची मदत घेतो जे मुलांना खूप मजेदार, आव्हानात्मक आणि आनंददायक वाटतात. स्पीच डिसऑर्डर मध्ये हे प्रकार येऊ शकतात. स्पीच डिसऑर्डर किंवा बोलण्यात समस्या हे अनेक घटकांचे मिश्रण आहे. ज्या अंतर्गत शब्द उच्चारताना आवाज निर्माण करण्यात अडचण येते. यामागे काही मानसिक विकार आहेत जसे – अ‍ॅफेशिया, अ‍ॅप्रॅक्सिया, डिस्लेक्सिया इ. सोबत तोतरेपणा, स्तब्धता, ऑटिझम, एडीएचडी विकार, शब्दांचे ज्ञान नसणे, गिळताना समस्या इ. याने ग्रस्त मुले शब्द नीट उच्चारू शकत नाही किंवा भाषेद्वारे आपले विचार व्यक्त करू शकत नाही. अशा परिस्थितीत, स्पीच थेरपी मदत करते. मुलांमध्ये कोणत्याही प्रकारची अडचण असल्यास जरूर स्पीच थेरपीस्टची मदत घ्यावी. रूट्स टू विंग्स चाइल्ड डेव्हलपमेंट सेंटर रूट्स टू विंग्स चाइल्ड डेव्हलपमेंट सेंटर मध्ये, मुलाच्या विकासाच्या प्रवासात स्पीच थेरपी किती महत्त्वाची भूमिका बजावते हे आम्हाला समजते. आमची व्यावसायिकांची समर्पित टीम उच्च दर्जाची काळजी आणि सहाय्य प्रदान करण्यासाठी वचनबद्ध आहे जेणेकरून मुलांना उच्चार आणि भाषेतील आव्हानांवर मात करण्यात मदत होईल. आम्ही प्रत्येक मुलाच्या अद्वितीय क्षमतेचे पालनपोषण करण्यावर विश्वास ठेवतो, हे सुनिश्चित करतो की त्यांना केवळ त्यांचा आवाजच नाही तर त्यांच्या संवाद कौशल्यांमध्येही भरभराट होईल. जर तुम्ही तुमच्या मुलाच्या भाषण विकासासाठी सर्वोत्तम काळजी घेत असाल, तर पुढे पाहू नका. आम्ही तुमच्या मुलाला त्यांच्या मुळापासून त्यांच्या पंखांपर्यंत मार्गदर्शन करण्यासाठी, त्यांना आत्मविश्वासाने आणि प्रभावी संभाषण कौशल्यांसह वाढण्यास मदत करण्यासाठी येथे आहोत. तुमच्या मुलाचा उज्वल आणि अधिक अर्थपूर्ण उद्याचा प्रवास सुरू करण्यासाठी आजच आमच्याशी संपर्क साधा.    

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Autism Indicators: A Guide for Parents

Introduction As parents, our children’s well-being is our top priority. It’s natural to have concerns about their development and behavior. Autism Spectrum Disorder (ASD) is a neurodevelopmental condition that affects communication, social interaction, and behavior. Early intervention is key to providing the best support and resources for children with autism. In this blog, brought to you by Roots to Wings Child Development Center at Inamdar Hospital, we’ll discuss some crucial indicators that parents may observe in their children, which could be early signs of autism. Communication Challenges One of the earliest indicators of autism is difficulty with communication. Parents may notice that their child: Doesn’t respond to their name as often as other children Doesn’t point or wave by 12 months Has difficulty making eye contact Struggles with speaking or understanding language for their age Social Interaction Difficulties Children with autism may exhibit social interaction challenges, such as: Difficulty in making friends or showing little interest in playing with peers Limited expressions of emotions and difficulty understanding others’ emotions Unusual reactions to sensory input (e.g., being overly sensitive to light, sound, or touch) Repetitive Behaviors Repetitive behaviors and routines are common in children with autism. Parents may notice: Repeated movements like hand-flapping or body rocking. An insistence on sameness or specific routines. Focusing intensely on a particular interest, often to the exclusion of everything else. Language Delay Many children with autism experience a delay in language development. Parents might observe: Limited vocabulary or difficulty in putting words together into sentences Echolalia, where the child repeats words or phrases they hear Challenges in understanding and using non-verbal cues like facial expressions and gestures Avoiding Eye Contact Difficulty with eye contact is a hallmark of autism. Children may avoid making eye contact or seem uninterested in faces, even those of their caregivers. Conclusion If you notice these autism indicators in your child, it’s essential to seek guidance from healthcare professionals, such as those at Roots to Wings Child Development Center at Inamdar Hospital. Early intervention can make a significant difference in a child’s development and improve their long-term outcomes. Remember that every child is unique, and development varies. Not all children showing these indicators will have autism, but recognizing these signs early can lead to timely assessments and interventions. Roots to Wings Child Development Center is here to provide the support and guidance you need, so don’t hesitate to reach out for assistance and answers to your questions. Your child’s journey is a shared one, and with the right resources and professional guidance, you can provide the best support for their unique needs.

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Is Laser Treatment Good for Piles?

Introduction Hemorrhoids, commonly known as piles, are a painful and uncomfortable condition that affects millions of people worldwide. While they can often be managed with lifestyle changes and conservative treatments, some cases may require surgical intervention. Laser treatment for piles has gained popularity as a minimally invasive and effective option. In this blog, we will explore the benefits and considerations of laser treatment for piles and discuss its suitability for different patients. To provide expert insights, we’ll refer to the expertise of Inamdar Multispeciality Hospital Pune. Understanding Piles Piles are swollen and inflamed blood vessels in the rectum and anus, leading to discomfort, pain, bleeding, and itching. They can be classified into two types: internal and external. Internal piles are located inside the rectum, while external piles occur outside the anus. Traditional Surgical Options Traditional surgical treatments for piles include hemorrhoidectomy and rubber band ligation. These procedures involve cutting or tying off blood vessels to remove the hemorrhoids. While effective, they can be associated with significant pain and a longer recovery period. Laser Treatment for Piles Laser treatment for piles, also known as laser hemorrhoidoplasty or laser hemorrhoidectomy, is a modern and less invasive approach to treating hemorrhoids. It involves using a laser to precisely target and shrink the hemorrhoidal tissue. This method offers several advantages over traditional surgery: Minimal Pain: Laser treatment is associated with minimal post-operative pain compared to conventional surgery. Patients often experience less discomfort during the recovery process. Shorter Recovery Time: The recovery time for laser treatment is typically shorter, allowing patients to return to their daily activities sooner. Reduced Bleeding: Laser treatment cauterizes blood vessels during the procedure, reducing the risk of post-operative bleeding. Lower Risk of Infection: Since laser treatment is less invasive, the risk of infection is generally lower. Outpatient Procedure: Laser treatment can often be performed as an outpatient procedure, reducing the need for an overnight hospital stay. Suitability for Patients Laser treatment for piles is considered suitable for a wide range of patients, including those with: Mild to Severe Hemorrhoids: Laser treatment can be adapted to address both internal and external hemorrhoids, regardless of their severity. Medical Conditions: Patients with underlying medical conditions that may increase the risk of complications during traditional surgery may benefit from laser treatment. Piles in Pregnant Women: Pregnant women experiencing hemorrhoids can opt for laser treatment, as it is generally safe for both the mother and the unborn child. Conclusion Inamdar Multispeciality Hospital Pune is a renowned healthcare institution that offers a comprehensive range of services, including the treatment of piles using laser technology. Their team of experienced and skilled physicians can provide personalized guidance and recommendations for patients considering laser treatment for piles. In conclusion, laser treatment for piles is a viable and effective option for many individuals suffering from this painful condition. It offers several advantages over traditional surgical methods, including reduced pain, shorter recovery times, and a lower risk of complications. However, the suitability of laser treatment should be determined on a case-by-case basis, taking into consideration the patient’s specific condition and medical history. If you are considering laser treatment for piles, it is essential to consult with a healthcare professional, such as those at Inamdar Multispeciality Hospital Pune, to discuss your options and receive personalized care.

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How Long Does Robotic Knee Replacement Last?

Introduction Robotic knee replacement surgery has revolutionized the field of orthopedics, offering patients a chance to regain mobility and reduce pain caused by knee joint issues. This innovative procedure has become increasingly popular due to its precision and effectiveness. However, one of the primary concerns patients have is the longevity of the robotic knee replacement. In this blog, we will explore how long you can expect a robotic knee replacement to last and the factors that influence its durability. The Basics of Robotic Knee Replacement Before diving into the durability of robotic knee replacements, it’s crucial to understand the basics of the procedure. Robotic knee replacement surgery utilizes advanced technology to create a customized plan for each patient. The surgeon uses a robotic arm to precisely remove damaged bone and cartilage and then implant an artificial knee joint. This precision minimizes complications and enhances the patient’s overall experience. Factors Affecting the Longevity of Robotic Knee Replacements Quality of Implant: The type and quality of the knee implant used play a significant role in its longevity. High-quality prosthetic joints made from durable materials tend to last longer. Your surgeon will discuss the best implant option for your specific needs. Surgical Technique: The skill and experience of your surgeon are crucial factors. A well-performed surgery with precise alignment and positioning of the implant can extend the life of your knee replacement. Patient’s Age and Activity Level: Younger patients with more active lifestyles may put more stress on their knee replacements, potentially leading to faster wear and tear. However, advancements in implant materials have made knee replacements more durable even for active individuals. Weight: Excess body weight can accelerate the wear and tear of knee replacements. Maintaining a healthy weight can positively impact the longevity of your implant. Complications and Infections: Infections or complications following surgery can affect the lifespan of your knee replacement. Prompt treatment and regular follow-ups are essential to address any issues that may arise. How Long Can You Expect a Robotic Knee Replacement to Last? The lifespan of a robotic knee replacement can vary from person to person, but on average, they are designed to last 15 to 20 years or even longer. Advances in materials and technology have contributed to the extended durability of these implants. However, it’s essential to remember that no medical procedure can guarantee a lifetime without any issues. Regular Follow-ups and Maintenance To maximize the lifespan of your robotic knee replacement, it’s crucial to attend regular follow-up appointments with your orthopedic surgeon. They will monitor your progress and address any concerns promptly. Additionally, maintaining a healthy lifestyle, including regular exercise and a balanced diet, can significantly contribute to the long-term success of your knee replacement. Conclusion Inamdar Multispecialty Hospital is dedicated to providing the highest quality orthopedic care, including robotic knee replacement surgery. While the exact lifespan of a robotic knee replacement can vary depending on several factors, advancements in technology and surgical techniques have made them more durable than ever before. With proper care, regular follow-ups, and a commitment to a healthy lifestyle, patients can enjoy the benefits of a pain-free and mobile knee joint for many years. If you’re considering a robotic knee replacement, consult with the expert orthopedic team at Inamdar Multispecialty Hospital to discuss your options and receive personalized care that prioritizes your long-term well-being.

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 महिलाओं के लिए क्यों ज़रूरी है एचपीवी वैक्सीन?

भारत में स्तन और मुंह के कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर सबसे आम प्रकार का कैंसर है। दुनिया के 25 प्रतिशत मरीज अकेले भारत में हैं। यह कैंसर कम उम्र यानि तीस साल की उम्र में भी हो सकता है। बहुत कम उम्र में सेक्स, कम रोग प्रतिरोधक क्षमता, लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन या धूम्रपान कैंसर के प्रमुख कारण हैं। प्रमुख लक्षणों में दो माहवारी के बीच रक्तस्राव, रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव, अत्यधिक और अनावश्यक योनि स्राव, संभोग के बाद रक्तस्राव, पेट में दर्द शामिल हैं।एचपीवी आमतौर पर यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है। लेकिन यह संक्रमण जननांग और मुंह के क्षेत्रों में त्वचा से त्वचा के संपर्क के कारण भी हो सकता है। आमतौर से  80% लोग अपने जीवन में कम से कम एक बार इस वायरस से प्रभावित होते हैं। यह आसानी से संक्रमित होता है और उतनी ही आसानी से फैलता भी है। इसके अलावा, जब आप पहली बार किसी भी प्रकार का संभोग करते हैं तो यह संक्रामक हो जाता है। एचपीवी के लगभग 200 प्रकार हैं। उनमें से लगभग 40 गुप्तांगों के पास पाए जाते हैं। उनमें से कुछ मस्से पैदा कर सकते हैं। लेकिन वे गंभीर या खतरनाक नहीं हैं. करीब 13 गंभीर श्रेणी में आते हैं। इससे गर्भाशय, गुप्तांग, मुंह या गले का कैंसर हो सकता है। लेकिन वे दुर्लभ हैंl क्यों ज़रूरी है एचपीवी वैक्सीन? एचपीवी वैक्सीन एक कैंसर निवारक है। एचपीवी वैक्सीन बहुत अच्छा काम करता है। एचपीवी वैक्सीन में 90% से अधिक एचपीवी-जिम्मेदार कैंसर को रोकने की क्षमता है।एचपीवी वैक्सीन से युवा महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा के प्रीकैंसर के मामलों की संख्या में भी कमी आई है।एचपीवी टीकों द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा लंबे समय तक रहती है।2006 में पहली बार एचपीवी टीकाकरण की सिफारिश की गई थी, एचपीवी प्रकार के संक्रमण जो अधिकांश एचपीवी कैंसर और जननांग मौसा का कारण बनते हैं, किशोर लड़कियों में 88% और युवा वयस्क महिलाओं में 81% कम हो गए हैं। जिन लोगों को एचपीवी वैक्सीनटीके मिले, उन पर कम से कम 12 वर्षों तक नजर रखी गई और उन्हे कोई खत्रा दिखाई दिया नही इसलिये यह बहुत सुरक्षित है । एचपीवी वैक्सीन कब दी जाती है ? 11-12 साल की उम्र में एचपीवी टीकाकरण की सिफारिश की जाती है। एचपीवी टीके 9 साल की उम्र से दिए जा सकते हैं। सभी प्रीटीन्स को एचपीवी टीकाकरण की आवश्यकता होती है, ताकि वे एचपीवी संक्रमण से सुरक्षित रहें जो बाद में जीवन में कैंसर का कारण बन सकता है। 27  वर्ष से अधिक उम्र के बाद महिलाको , जिन्होंने एचपीवी वैक्सीन श्रृंखला शुरू या समाप्त नहीं की है, उन्हें भी एचपीवी टीकाकरण की आवश्यकता होती है। एचपीवी वैक्सीन डॉक्टर कार्यालयों, सामुदायिक स्वास्थ्य क्लीनिकों, स्कूल-आधारित स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य विभागों में उपलब्ध हो सकता है। Inamdar Multispeciality Hospital पुणे में इनामदार मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल(Inamdar Multispeciality Hospital) एक अत्याधुनिक अस्पताल है जो कम लागत पर सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है। यहां डॉक्टरों की टीम अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता और समर्पण के लिए जानी जाती है। अस्पताल की पूरी टीम मरीजों की देखभाल करने और उनके परिवारों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। रोगी की देखभाल एक परिवार की तरह की जाती है ताकि समय पर दवा उपचार से रोगी जल्द से जल्द ठीक हो सके। पुणे के इनामदार मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल(Inamdar Multispeciality Hospital)केंद्र में स्थित और अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ, इनामदार मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल सभी बीमारियों के लिए उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है।

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कंसीव करने के 3-4 दिन बाद ही दिखते हैं प्रेगनेंसी के ये 3 लक्षण, 

पीरियड्स मिस होने से पहले ही कन्‍फर्म हो जाती है प्रेगनेंसी | कैसे ? आजकल की तनावपूर्ण जिंदगी का असर गर्भावस्था पर पड़ रहा है। महिलाओं को गर्भधारण करने के लिए कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसमें तनाव, काम का दबाव और कई तरह की बीमारियों ने जीवनशैली को प्रभावित करती  है। जब बच्चे कि प्लांनिंग होती है तब   महिलाएं अपने मासिक धर्म को मिस भी नहीं करना चाहतीं। लेकिन अक्सर महिला ही इस मीठी खबर को जानने के लिए सबसे ज्यादा उत्सुक रहती है। एक महीने तक इंतज़ार नही करना चाहतीl  कंसीव करने के 3-4 दिन बाद ही दिखते हैं प्रेगनेंसी के ये 3 लक्षण, जिससे प्रेगनेंसी हो जाने की संभावना बढती है l कंसीव करने के 3-4 दिन बाद ही दिखते हैं ये प्रेगनेंसी के 3 लक्षण : 1) रक्तस्राव जब निषेचित अंडा आपके गर्भाशय की परत से जुड़ जाता है, तो इस प्रक्रिया में कुछ रक्त वाहिकाएं फट जाती हैं। इससे हल्का रक्तस्राव हो सकता है. इससे यह भ्रम हो सकता है कि मासिक धर्म हुआ है या नहीं। क्योंकि पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग होती है और पेट या कमर में तेज दर्द होता है। लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान रक्त बहुत हल्का हो जाता है और गर्भाशय में थोड़ी ऐंठन महसूस हो सकती है। यह लक्षण हर किसी में नहीं देखा जाता है l 2) स्तन में परिवर्तन जब कोई महिला गर्भवती होती है तो उसके स्तन में भी कई बदलाव आते हैं। स्तनों में भारीपन, झुनझुनी या छूने पर दर्द का अनुभव भी हो सकता है। ऐसे में आप बिना घबराए प्रारंभिक अनुमान के तौर पर डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। 3) वर्जिन डिस्चार्ज ये लक्षण गर्भधारण के तुरंत बाद दिखाई देते हैं। क्योंकि जब कोई महिला गर्भवती होती है तो उसके शरीर में हार्मोनल बदलाव आते हैं। इससे योनि की दीवार मोटी हो जाती है। इसलिए योनि की कोशिकाओं का विकास तेजी से होने लगता है। इससे कुछ डिस्चार्ज हो सकता है. लेकिन अगर डिस्चार्ज के साथ योनि में दर्द, जलन या गंध हो तो डॉक्टर को दिखाएं। 4) थकान महसूस करना कई महिलाओं को शुरुआती दिनों में थकान या कमजोरी महसूस होती है। गर्भधारण के बाद महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होने लगते हैं, जिससे थकान होने लगती है। इसमें कुछ देर काम करने के बाद आराम करने का मन करता है और महिलाओं को लंबे समय तक खड़े रहने में भी परेशानी होती है। 5) मॉर्निंग सिकनेस मॉर्निंग सिकनेस एक बहुत ही सामान्य लक्षण है। यह लक्षण पहली बार पीरियड मिस होने से कुछ दिन पहले दिखाई देता है। कुछ महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस सुबह के बजाय दोपहर या शाम को हो सकती है। लक्षणों में उल्टी, मतली या दुर्गंध शामिल हो सकती है। यह कोई लक्षण दिखने पर  प्रेगनेंसी होने की संभावना होती हैl  पीरियड्स मिस होने से पहले ही  प्रेगनेंसी कन्‍फर्म करनेके लिए डॉक्टर की सलाह जरूर ले l Inamdar Multispecialty Hospital पुणे में इनामदार मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल(Inamdar Multispeciality Hospital) एक अत्याधुनिक अस्पताल है जो कम लागत पर सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है। यहां डॉक्टरों की टीम अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता और समर्पण के लिए जानी जाती है। अस्पताल की पूरी टीम मरीजों की देखभाल करने और उनके परिवारों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। रोगी की देखभाल एक परिवार की तरह की जाती है ताकि समय पर दवा उपचार से रोगी जल्द से जल्द ठीक हो सके। पुणे के इनामदार मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल(Inamdar Multispeciality Hospital)केंद्र में स्थित और अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ, इनामदार मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल सभी बीमारियों के लिए उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है।

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महिलांसाठी एचपीव्ही लस का महत्त्वाची आहे?

संशोधनानुसार, जागतिक स्तरावर गर्भाशयाच्या मुखाच्या कर्करोगाच्या एकूण 27 टक्के प्रकरणे भारतातील आहेत, जी जगातील महिला लोकसंख्येच्या 16-17 टक्के आहेत. तसेच, गर्भाशयाच्या मुखाचा कर्करोग हा महिलांमधील दुसऱ्या क्रमांकाचा सर्वात सामान्य कर्करोग आहे. या कर्करोगामुळे भारतात दरवर्षी 1.23 लाख नवीन प्रकरणे येतात आणि सुमारे 77,000 मृत्यूची नोंद होते. गर्भाशयाच्या मुखाच्या कर्करोगाने दर आठ मिनिटांनी एका महिलेचा मृत्यू होतो. त्यामुळे 30 ते 60 वयोगटातील सर्व महिलांनी HPV चाचणीद्वारे तपासणी करणे आवश्यक आहे. नियमित रोगप्रतिकारक शक्ती असलेल्या महिलांमध्ये गर्भाशयाच्या मुखाचा कर्करोग होण्यासाठी 15 ते 20 वर्षे लागतात. तर कमकुवत प्रतिकारशक्ती असलेल्या महिलांना ५ ते १० वर्ष लागतात. HPV लसीकरण आणि नियमित गर्भाशय ग्रीवाची तपासणी हे गर्भाशयाच्या मुखाचा कर्करोग टाळण्यासाठी सर्वात प्रभावी मार्ग आहेत. म्हणून  सर्व मुलांच्या पालकांना HPV लसीकरणाबद्दल माहिती असणे आवश्यक आहे.  लसीकरणासाठी कोणत्या वयात करावी? भारतात नऊ ते २६ वयोगटातील मुली आणि मुलांसाठी ही लस मंजूर आहे. मुलींनी 12 ते 26 वयोगटात असताना  लसीकरण करून घ्यावे. महिलांनी लैंगिकदृष्ट्या सक्रिय होण्यापूर्वी आणि एचपीव्हीच्या संपर्कात येण्यापूर्वी लस घेतली पाहिजे. लैंगिकदृष्ट्या सक्रिय असलेल्या महिलांना देखील लसीकरणाचा फायदा होऊ शकतो, परंतु त्यांना कमी फायदा होऊ शकतो.  एचपीव्हीमुळे खालील  कर्करोग होऊ शकतो: स्त्रियांमध्ये गर्भाशय ग्रीवा, योनी आणि योनी पुरुषांमध्ये पुरुषाचे जननेंद्रिय पुरुष आणि स्त्रिया दोघांमध्ये गुद्द्वार पुरुष आणि स्त्रिया दोघांमध्ये घशाचा मागील भाग, जीभ आणि टॉन्सिल्स एचपीव्ही लस का महत्त्वाची आहे एचपीव्ही लसी करणामुळे किशोरवयीन मुलींमध्ये, बहुतेक एचपीव्ही कर्करोग आणि जननेंद्रियाच्या चामण्यांना कारणीभूत असलेल्या एचपीव्ही प्रकारांचे संक्रमण 88 टक्के कमी झाले आहे. तरुण प्रौढ महिलांमध्ये, एचपीव्ही प्रकारांचे संक्रमण ज्यामुळे बहुतेक एचपीव्ही कर्करोग होतात आणि जननेंद्रियाच्या 81 टक्के कमी झाले आहेत. लसीकरण केलेल्या महिलांमध्ये, गर्भाशयाच्या मुखाच्या कर्करोगाशी संबंधित एचपीव्ही प्रकारांमुळे होणा-या गर्भाशयाच्या ग्रीवेच्या पूर्व कर्करोगाची टक्केवारी 40 टक्क्यांनी घसरली आहे. HPV लस कशी दिली जाते ? HPV लस वयाच्या 9 वर्षापासून दिली जाऊ शकते. 11-12 वर्षे वयोगटातील मुलांना HPV लसीचे दोन डोस 6 ते 12 महिन्यांच्या अंतराने दिले पाहिजेत. ज्या मुलांना HPV लस मालिका त्यांच्या 15 व्या वाढदिवसाला किंवा नंतर सुरू केली जाते त्यांना तीन डोस आवश्यक असतात, 6 महिन्यांपेक्षा अंतराने किंवा जास्त. कर्करोगापासून बचावासाठी एचपीव्ही लस  महत्त्वाची आहे. आजच आपल्या मुलीचे लसीकरण करून घ्यावे. Inamdar Multispecialty Hospital पुण्यातले इनामदार मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल (Inamdar Multispecialty Hospital, Pune) हे एक अत्याधुनिक सेवा देणारे व कमी खर्चात सर्वोत्कृष्ट आरोग्यसेवा प्रदान करणारे  हॉस्पिटल आहे. येथे असणारी डॉक्टरांची टीम ही सामाजिक बांधिलकी जपणारी आणि पूर्णपणे समर्पण देऊन काम करणारी म्हणून ओळखली जाते. रुग्णाची काळजी घेणे व त्यांच्या कुटुंबाला आधार देणे यासाठी हॉस्पिटलची सर्व टीम वचनबध्द आहे. वेळेत औषध उपचार करून रुग्णाला लवकरात लवकर आराम पडावा यासाठी रुग्णाची कुटुंबासारखी काळजी घेतली जाते. पुण्याच्या केंद्रस्थानी असलेले आणि अत्याधुनिक पायाभूत सुविधा असलेले  इनामदार मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल सर्व आजारांवर उत्कृष्ट आरोग्यसेवा प्रदान करते.  

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Unveiling the Silence: The Lack of Awareness about the Cervical Vaccine

Introduction Cervical cancer, a preventable and potentially fatal disease, claims the lives of hundreds of thousands of women globally each year. Despite advancements in medical science, there persists a disheartening lack of awareness about the cervical vaccine. This obliviousness, rooted in a complex interplay of socio-economic, cultural, and healthcare factors, poses a significant barrier to the widespread adoption of this life-saving measure. Limited Education and Information One of the primary reasons for the lack of awareness about the cervical vaccine is the limited education and information available to the public. Cervical cancer is often shrouded in secrecy, leading to myths, misconceptions, and confusion. Public health campaigns about the vaccine are not as widespread or effective as they should be, leaving many individuals, especially in rural or underserved areas, unaware of its existence and benefits. Cultural Taboos and Stigma In many cultures, discussions related to sexual health and reproductive organs are considered taboo. This stigma creates a significant hurdle in raising awareness about the cervical vaccine, as open dialogue is essential to dispel myths and misinformation. Families and communities often shy away from discussing the vaccine due to cultural sensitivities, perpetuating the lack of awareness and understanding. Healthcare Inequities Access to healthcare plays a pivotal role in determining awareness levels about preventive measures such as vaccines. Limited access to healthcare facilities, particularly in marginalized communities, leads to a lack of information dissemination. Moreover, the focus on more immediate health concerns in resource-constrained environments often pushes cervical cancer prevention to the background. Gender Disparities Cervical cancer exclusively affects women, which sometimes results in gender disparities in healthcare information and resources. This inequality can lead to a lack of prioritization of cervical cancer prevention programs and hinder awareness initiatives. Empowering women with knowledge about the vaccine is crucial not only for their health but for the well-being of entire communities. Misperceptions about Cervical Cancer Many people perceive cervical cancer as a distant threat, assuming that it only affects a small segment of the population. This misperception stems from the lack of publicized cases or a failure to connect with the broader implications of the disease. Raising awareness about the prevalence, severity, and preventability of cervical cancer can help dispel such misconceptions. Conclusion In a world where medical breakthroughs and preventive measures are within reach, it is disheartening to witness the persistent lack of awareness about the cervical vaccine. Education, open dialogue, and accessible healthcare are the pillars upon which awareness can be built. As we strive to bridge this awareness gap, institutions like Inamdar Multispecialty Hospital play a crucial role. By championing campaigns, workshops, and initiatives that inform and empower individuals about the cervical vaccine, such institutions can spearhead change in healthcare attitudes and behaviors. Inamdar Multispecialty Hospital: Leading the Charge Inamdar Multispecialty Hospital recognizes the pressing need to address the lack of awareness surrounding the cervical vaccine. Through its dedicated efforts, the hospital is making substantial strides in spreading information, debunking myths, and fostering a culture of open conversation. By collaborating with communities, organizations, and individuals, Inamdar Multispecialty Hospital is actively working to make cervical cancer a preventable disease of the past. Their commitment to raising awareness stands as a beacon of hope in the fight against cervical cancer. To conquer the lack of awareness about the cervical vaccine requires a collective effort from healthcare providers, governments, non-profit organizations, and individuals. By acknowledging the root causes of this issue and addressing them head-on, we can work together to ensure that every woman, regardless of her background, has access to life-saving information and resources.

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प्रसूतीनंतर आईचा आहार कसा असावा(What should be the Postpartum Diet)?

आई होणे ही अत्यंत आनंददायक गोष्ट आहे. जगात प्रत्येक स्त्रीला आई व्हावेसे वाटते। मग ती गरीब किंवा श्रीमंत जगातली कोणतीही स्त्री असो, दोघींच्याही आईपणाच्या भावना सारख्याच असतात. मात्र प्रसूतीनंतर म्हणजे बाळ झाल्यानंतर आईची जबाबदारी जास्त वाढते. कारण बाळ मोठे होईपर्यंत, वरचे दूध किंवा इतर अन्नघटक त्याच्या पोटात जाईपर्यंत त्याचे भरण पोषण आईच्या स्तनपानावरच चालते. त्यामुळेच आईला स्वतःचे आरोग्य त्याचप्रमाणे बाळाचे आरोग्य चांगले रहावे मजबूत राहावे यासाठी योग्य आहार करणे अत्यंत गरजेचे आहे. प्रसूती काळात आईची शारीरिक झीज प्रचंड प्रमाणात झालेली असते. ही झीज भरून येणे सुद्धा तितकेच महत्त्वाचे असते. अनेकदा बाळाला स्तनपान केल्यानंतर स्त्रीला  थकून गेल्यासारखे वाटणे, गळा ठरल्यासारखे वाटणे, डोळ्यासमोर अंधारी येणे चक्कर येणे यासारख्या गोष्टी प्रकर्षाने जाणवतात. याचा अर्थ तुमच्या शरीराची स्थिती अॅनीमिक आहे हे ओळखावे. याचसाठी महिलांना सकस आणि आरोग्यवर्धक आहाराची अत्यंत आवश्यकता असते. आजकालच्या काळात जंक फूड, फ्रोजन फुड, बाहेरचे चमचमीत खाणे याकडे स्त्रियांचा कल जास्त असतो. परंतु या कोणत्याही गोष्टींमधून पोषण आहार तर मिळणार नाहीच, पण या गोष्टी तुमच्या आणि तुमच्या बाळाच्या प्रकृतीला हानिकारक ठरू शकतात. त्यामुळे काही महिने तरी संयम बाळगा आणि डॉक्टरांनी सुचवलेला योग्य आहार घ्या.  प्रसूतीनंतर आईचा आहार कसा असावा? प्रसुतीनंतर  सर्वात महत्त्वाचा घटक म्हणजे लोह. प्रसूतीपूर्वी आणि प्रसूती नंतरही आहारासोबत तिने शरीरातील लोह वाढवणाऱ्या गोळ्या घेतल्या पाहिजेत. त्याचा फायदा तिला आणि तिच्या बाळाला होईल. बाळंतपणानंतर दोन ते तीन महिने या गोळ्या चालू ठेवाव्यात. या गोळ्या मनाने न घेता डॉक्टरांनी सुचवल्या प्रमाणे घ्याव्या. आहारातही  हिरव्या पालेभाज्या, डाळी, नाचणीमासे मटन खावे. प्रसूती झाल्यानंतर डॉक्टरांनी दिलेल्या कॅल्शियम गोळ्याही खाव्यात. तसेच दुध आणि दुग्ध जन्य पदार्थ खावे. काही स्त्रियांमध्ये ओटीपोटात अधिक दुखते. पाठ-कंबर दुखण्याच्या तक्रारी वाढतात. त्यामुळे चहा-कॉफी किंवा मसालेदार पदार्थांचे सेवन कमी करावे. सकस आहार घेणे खूप गरजेचे असते. फळांचे नियमित सेवन करावे, फळात विशिष्ट खनिज, जीवनसत्त्व, आणि फायबर असते. सर्व रंगांची फळे खावीत. सुकामेवा खाल्ल्याने पण खूप फायदा होतो. परंतु तो योग्य प्रमाणात खावा. बदाम भिजवून खावेत. काळे मनुके भिजवून खाल्ल्याने पोट साफ राहण्यास मदत होते.  जिरे आणि ओवा पचनक्रिया स्वस्थ राहण्यास मदत करतात. तसेच जेवल्यावर बडीशेप सुद्धा खावी. मेथीचे दाने, तीळ, डिंकाचे लाडू हे शक्ती वाढवण्यास मदत करतात. शरीरातली झीज भरून काढण्यासाठी मदत होते, पण त्याचे प्रमाण योग्य असावे.  प्रसुतीनंतर बाळाच्या प्रत्येक अनेक गोष्टीकडे स्त्रियांचे लक्ष असते. पण बाळाबरोबर स्वत:ची काळजी घेणे पण महत्वाचे असते. सहा महिन्यांनी डॉक्टरांकडे जाऊन भेट देणे जास्त योग्य ठरते.  Inamdar Multispeciality Hospital पुण्यातले इनामदार मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल (Inamdar Multispecialty Hospital, Pune) हे एक अत्याधुनिक सेवा देणारे व कमी खर्चात सर्वोत्कृष्ट आरोग्यसेवा प्रदान करणारे  हॉस्पिटल आहे. येथे असणारी डॉक्टरांची टीम ही सामाजिक बांधिलकी जपणारी आणि पूर्णपणे समर्पण देऊन काम करणारी म्हणून ओळखली जाते. रुग्णाची काळजी घेणे व त्यांच्या कुटुंबाला आधार देणे यासाठी हॉस्पिटलची सर्व टीम वचनबध्द आहे. वेळेत औषध उपचार करून रुग्णाला लवकरात लवकर आराम पडावा यासाठी रुग्णाची कुटुंबासारखी काळजी घेतली जाते. पुण्याच्या केंद्रस्थानी असलेले आणि अत्याधुनिक पायाभूत सुविधा असलेले  इनामदार मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल सर्व आजारांवर उत्कृष्ट आरोग्यसेवा प्रदान करते.  

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The Crucial Role of the HPV Vaccine in Women’s Health

Introduction In the realm of preventive healthcare, few advancements have been as groundbreaking as the Human Papillomavirus (HPV) vaccine. This vaccine has played a pivotal role in safeguarding women’s health by providing protection against a group of viruses that can lead to severe health complications, including cervical cancer. Understanding HPV and its Impact HPV is the most common sexually transmitted infection globally, affecting both men and women. With over 100 different types of HPV, the virus can manifest in various ways, including genital warts and more concerning, the potential to lead to cancer. Women, in particular, are at a higher risk of developing HPV-related cervical cancer, which is the fourth most common cancer in women worldwide. In fact, virtually all cases of cervical cancer are caused by persistent infections of certain high-risk HPV types. The Vaccine’s Role in Prevention The HPV vaccine is a powerful tool for preventing HPV-related diseases, including cervical cancer. It is primarily targeted at young individuals before they become sexually active, as it is most effective when administered before exposure to the virus. The vaccine stimulates the body’s immune system to produce antibodies that specifically target and neutralize the virus, preventing its potential to cause harm. Cervical Cancer Prevention Cervical cancer is a serious and potentially life-threatening condition. The HPV vaccine directly addresses this concern by targeting the strains of the virus most commonly associated with cervical cancer. By preventing HPV infections, the vaccine significantly reduces the risk of cervical cancer development. This prevention is especially crucial considering that cervical cancer often presents with no symptoms until it has reached an advanced stage. Herd Immunity One of the remarkable aspects of the HPV vaccine is its ability to contribute to herd immunity. When a significant portion of the population is vaccinated, the transmission of the virus is significantly reduced, indirectly protecting those who may not have received the vaccine. This is particularly important in the context of HPV, as the virus is primarily spread through sexual contact. Breaking Down Myths and Misconceptions There have been misconceptions surrounding the HPV vaccine, leading to hesitancy in some individuals. It’s important to address these concerns and dispel myths in order to encourage more women to get vaccinated. The vaccine is safe and has undergone rigorous testing to ensure its efficacy and minimal side effects. Educating women about the science behind the vaccine can empower them to make informed decisions about their health. Conclusion In a world where preventive healthcare is gaining prominence, the HPV vaccine stands out as a beacon of hope for women’s health. Its role in preventing HPV-related diseases, particularly cervical cancer, cannot be overstated. By administering the vaccine to young women, we are not only protecting them but also contributing to the broader goal of eradicating HPV-related health issues. As we consider the far-reaching impact of the HPV vaccine, institutions like Inamdar Multispecialty Hospital continue to play an essential role in advocating for and administering these crucial vaccinations. Taking this step today can pave the way for a healthier and safer tomorrow for women everywhere.

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Rejuvenating Your Skin with CO2 Fractional Laser Treatment at Inamdar Hospital

Introduction In the pursuit of youthful and radiant skin, many individuals turn to cosmetic procedures. One such revolutionary treatment is CO2 fractional laser therapy. Inamdar Hospital, a renowned medical institution, offers this cutting-edge technology to help individuals achieve remarkable skin rejuvenation results. With its state-of-the-art facilities and experienced medical professionals, Inamdar Hospital provides a safe and effective environment for CO2 fractional laser treatment, ensuring optimal outcomes for patients. Understanding CO2 Fractional Laser Treatment CO2 fractional laser treatment is a minimally invasive procedure designed to address various skin concerns, including wrinkles fine lines scars uneven skin texture This advanced technique utilizes carbon dioxide lasers to create microscopic channels in the skin, stimulating the body’s natural healing process and promoting collagen production. The laser energy delivered to the targeted areas triggers controlled damage to the skin, encouraging the growth of healthier, smoother, and more youthful-looking skin. Inamdar Hospital: Pioneers in CO2 Fractional Laser Therapy Inamdar Hospital is at the forefront of cosmetic dermatology, and its commitment to providing high-quality care is exemplified by its CO2 fractional laser treatment. The hospital boasts a team of skilled dermatologists and technicians who are well-versed in the intricacies of this procedure. They combine their expertise with state-of-the-art equipment to deliver exceptional results. Inamdar Hospital maintains a patient-centric approach, ensuring that each individual’s specific needs and concerns are addressed, resulting in personalized treatment plans that yield the best possible outcomes. The Benefits of CO2 Fractional Laser Treatment CO2 fractional laser treatment offers numerous benefits to patients seeking skin rejuvenation. Firstly, it effectively reduces the appearance of wrinkles, fine lines, and age spots, resulting in smoother and more youthful-looking skin. Additionally, It can significantly improve the texture and tone of the skin Reducing the visibility of acne scars Surgical scars Blemishes This treatment also stimulates collagen production, which helps improve the skin’s elasticity and firmness. The procedure is safe and relatively quick, with minimal downtime, making it an appealing option for individuals with busy lifestyles. Patient Experience and Aftercare At Inamdar Hospital, patient comfort and satisfaction are of utmost importance. Before undergoing CO2 fractional laser treatment, patients receive a comprehensive consultation where their concerns and goals are thoroughly discussed. During the procedure, patients may experience a mild prickling or warm sensation, which is well-tolerated. Following the treatment The medical team provides detailed post-care instructions Gentle skincare routines and sun protection measures While some temporary redness Swelling may occur These subside within a few days Revealing fresher Rejuvenated skin Conclusion CO2 fractional laser treatment at Inamdar Hospital is a state-of-the-art solution for achieving youthful and radiant skin. With their expertise and advanced technology, patients can confidently embark on their rejuvenation journey.

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स्त्रियांना रजोनिवृत्ती(Menopause) का होते, त्याची लक्षणे कोणती, कोणत्या वयात सुरू होतात

रजोनिवृत्तीची(Menopause) सुरुवात साधारणपणे 45 ते 50 या वयात स्त्रियांमध्ये होते, याचा अर्थ प्रत्येक महिन्याला येणारी मासिक पाळी पूर्ण थांबते. जर एखाद्या महिलेला सलग 12 महिने मासिक पाळी येत नसेल, तर ती रजोनिवृत्तीपर्यंत पोहोचली आहे असे म्हणतात. रजोनिवृत्तीपूर्वी(Menopause) महिलांना अनेक प्रकारची लक्षणे जाणवू शकतात.. यासोबतच महिलांमध्ये इस्ट्रोजेन, प्रोजेस्टेरॉन आणि टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन्सची पातळीही कमी होते. यामुळे स्त्रीमधील प्रजनन प्रक्रिया थांबते. रजोनिवृत्तीची लक्षणे, आणि ती  कोणत्या वयात सुरू होते ते  जाणून घेऊया. रजोनिवृत्ती(Menopause) कोणत्या वयात सुरू होते? रजोनिवृत्तीची(Menopause) सुरुवात सरासरी 45 ते 50 वर्षे वयाच्या आसपास होते, परंतु काहीवेळा ती वयाच्या 40 व्या वर्षीही होऊ शकते, ज्याला अकाली रजोनिवृत्ती म्हणतात. सुमारे 5% स्त्रिया लवकर रजोनिवृत्तीमध्ये जातात, 40 ते 45 वयोगटातील लक्षणे अनुभवतात. एक टक्का स्त्रिया 40 वर्षांच्या आधी अकाली रजोनिवृत्तीमध्ये जातात.स्त्रीला कोणत्या वयात रजोनिवृत्ती येईल हे मुख्यतः तुमच्या जनुकांवर अवलंबून असते. लोक रजोनिवृत्तीचा अनुभव वेगळ्या प्रकारे घेतात. सुरुवातीच्या वयातील काही ट्रेंड आणि लक्षणे तुमचे वय वाढल्यावर काय अपेक्षा करावी याबद्दल काही मार्गदर्शन देऊ शकतात.  जसजसे तुमचे वय वाढत जाते तसतसे तुमच्या अंडाशयात इस्ट्रोजेन आणि प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन्स कमी होतात. या हार्मोन्सशिवाय, मासिक पाळी काही काळासाठी अनियमित होते आणि नंतर थांबते.सहसा रजोनिवृत्ती सुरू होण्यापूर्वी तीन ते पाच वर्षे असते. याला पेरिमेनोपॉज म्हणतात. पेरीमेनोपॉज तुम्ही रजोनिवृत्तीमध्ये प्रवेश करण्यापूर्वी 10 वर्षांपर्यंत सुरू होऊ शकते.रजोनिवृत्तीला कारणीभूत होणारे शारीरिक बदल वयाच्या 40 व्या वर्षी सुरू होऊ शकतात किंवा 50 च्या उत्तरार्धापर्यंत सुरू होऊ शकत नाहीत. रजोनिवृत्तीची(Menopause) लक्षणे अनियमित मासिक पाळी योनीत  कोरडेपणा वजन वाढणे उष्ण गरम वाफा रात्री घाम येणे निद्रानाश स्वभावात हळवेपणा आणि चीडचीडेपणा  डोकेदुखी भूक कमी होणे ,अपचन  कोरड्या त्वचेची समस्या जास्त केस गळणे वाढलेली हृदय गती रजोनिवृत्तीची कारणे इस्ट्रोजेन आणि प्रोजेस्टेरॉनच्या उत्पादनात नैसर्गिक घट होते. यांच्यामुळे  मासिक पाळीचे नियमित होत असते .पूर्ण हिस्टरेक्टॉमी ही एक प्रक्रिया आहे जेव्हा गर्भाशय आणि अंडाशय दोन्ही काढून टाकले जातात आणि त्यामुळे रजोनिवृत्ती होऊ शकते. गर्भाशय किंवा अंडाशयात इतर संबंधित समस्या असल्यास ती येते . कर्करोगाच्या रुग्णांमध्ये केमोथेरपी किंवा रेडिएशन थेरपीमुळे रजोनिवृत्ती होऊ शकते. रजोनिवृत्ती आजार नाही पण जर तुम्हाला वर नमूद केलेली लक्षणे दिसली तर तुम्ही डॉक्टरांना भेट दिली पाहिजे. रजोनिवृत्ती दरम्यान आणि नंतर डॉक्टरांनी भेटायला सांगितले तर नक्कीच भेटत राहा. रजोनिवृत्तीनंतर योनीतून रक्तस्त्राव होत असेल तर ही गोष्ट सामान्य नाही. काही महिलांना वयाच्या ४० व्या वर्षीही मासिक पाळी येणे अनेक महिने थांबते. या प्रकरणात, विलंब न करता डॉक्टरांचा सल्ला घ्या. कोलोनोस्कोपी, मॅमोग्राफी आणि ट्रायग्लिसराइड स्क्रीनिंग, थायरॉईड चाचणीचा सल्ला डॉक्टर देऊ शकतात. Inamdar Multispeciality Hospital पुण्यातले इनामदार मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल (Inamdar Multispecialty Hospital, Pune) हे एक अत्याधुनिक सेवा देणारे व कमी खर्चात सर्वोत्कृष्ट आरोग्यसेवा प्रदान करणारे  हॉस्पिटल आहे. येथे असणारी डॉक्टरांची टीम ही सामाजिक बांधिलकी जपणारी आणि पूर्णपणे समर्पण देऊन काम करणारी म्हणून ओळखली जाते. रुग्णाची काळजी घेणे व त्यांच्या कुटुंबाला आधार देणे यासाठी हॉस्पिटलची सर्व टीम वचनबध्द आहे. वेळेत औषध उपचार करून रुग्णाला लवकरात लवकर आराम पडावा यासाठी रुग्णाची कुटुंबासारखी काळजी घेतली जाते. पुण्याच्या केंद्रस्थानी असलेले आणि अत्याधुनिक पायाभूत सुविधा असलेले  इनामदार मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल सर्व आजारांवर उत्कृष्ट आरोग्यसेवा प्रदान करते.  

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Pre & Post Delivery Care

Best Maternity Hospital in Fatima Nagar When it comes to one of the most precious moments in a woman’s life, choosing the right hospital for pre and post-delivery care becomes crucial. Inamdar Multispeciality Hospital, located in Fatima Nagar, stands out as the best maternity hospital in the area. With its state-of-the-art facilities, experienced medical professionals, and personalized care, it ensures that every expectant mother receives the highest quality care throughout their journey to motherhood. Best Hospital for Delivery in Fatima Nagar Inamdar Multispeciality Hospital is renowned for its exceptional delivery services. The hospital boasts a team of highly skilled gynecologists, obstetricians, and support staff who are dedicated to ensuring a safe and comfortable delivery experience. The hospital’s delivery rooms are equipped with advanced technology and are designed to provide a calm and soothing environment for the mother and the newborn. The hospital follows evidence-based practices and adheres to the highest standards of safety during delivery. The medical team at Inamdar Multispeciality Hospital is well-versed in handling both normal and high-risk deliveries, ensuring that every mother receives the care she needs based on her unique circumstances. The hospital also offers pain management options, including epidural anesthesia, to provide comfort during labor. Best Gynaecologist in Fatima Nagar Choosing the right gynecologist is essential for a smooth and healthy pregnancy. Inamdar Multispeciality Hospital is home to some of the best gynecologists in Fatima Nagar who have extensive experience and expertise in the field of women’s health. These specialists provide comprehensive care throughout the entire pregnancy journey, from preconception counseling to postnatal care. The gynecologists at Inamdar Multispeciality Hospital prioritize the health and well-being of both the mother and the baby. They offer personalized care, regular check-ups, and timely screenings to ensure the early detection and management of any potential complications. With their compassionate approach and commitment to excellence, these gynecologists provide guidance, support, and medical expertise to expectant mothers. Gynec Hospital in Fatima Nagar Inamdar Multispeciality Hospital is not just a maternity hospital; it is also a renowned Gynec hospital in Fatima Nagar. It caters to the diverse gynecological needs of women, including routine check-ups, screenings, diagnosis, and treatment of gynecological disorders. The hospital is equipped with advanced diagnostic facilities and offers a wide range of gynecological surgeries, including minimally invasive procedures, ensuring optimal outcomes for patients. Maternity Hospital in Fatima Nagar Providing Comprehensive Care Inamdar Multispeciality Hospital is committed to providing comprehensive care to expectant mothers, not only during pregnancy and delivery but also during the postnatal period. The hospital offers postnatal care services that include lactation support, guidance on newborn care, and assistance with postpartum recovery. The experienced healthcare professionals provide emotional support, education, and necessary interventions to ensure a healthy and happy post-delivery phase for both the mother and the baby. Conclusion Inamdar Multispeciality Hospital in Fatima Nagar is the best maternity hospital in the area, providing exceptional pre and post-delivery care. With its dedicated team of experienced gynecologists and state-of-the-art facilities, the hospital ensures a safe and comfortable delivery experience for every mother. Whether you are looking for a gynecologist or a comprehensive maternity hospital, Inamdar Multispeciality Hospital is the ideal choice for all your healthcare needs.

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Dos & Don’ts in Pregnancy: Taking Care of You and Your Baby

Choosing the Best Maternity Hospital in Fatima Nagar When you’re expecting a baby, one of the most important decisions you’ll make is selecting the right maternity hospital for your prenatal care, delivery, and postnatal support. Fatima Nagar offers several options, but if you’re looking for the best maternity hospital in the area, look no further than Inamdar Multispeciality Hospital. Why Inamdar Multispeciality Hospital Stands Out Inamdar Multispeciality Hospital is renowned for its exceptional services and dedicated team of healthcare professionals. Here’s why it’s considered the best maternity hospital in Fatima Nagar Expert Gynecologists: Inamdar Multispeciality Hospital boasts some of the best gynecologists in Fatima Nagar. These highly skilled doctors have years of experience and are committed to providing comprehensive care to pregnant women. State-of-the-Art Facilities: The hospital is equipped with modern infrastructure and cutting-edge medical technology, ensuring the highest quality of care for you and your baby. From advanced ultrasound machines to well-equipped delivery rooms, Inamdar Multispeciality Hospital prioritizes your comfort and safety. Comprehensive Maternity Services: Inamdar Multispeciality Hospital offers a wide range of maternity services, including prenatal care, antenatal classes, high-risk pregnancy management, and postnatal care. The hospital is well-prepared to handle any complications that may arise during pregnancy or childbirth. Essential Dos & Don’ts in Pregnancy During pregnancy, it’s crucial to adopt healthy habits and avoid potential risks. Here are some dos and don’ts to help you navigate this beautiful journey: Dos Eat a Nutritious Diet: Consume a well-balanced diet rich in fruits, vegetables, whole grains, and lean proteins. Stay hydrated and include foods that are high in iron, calcium, and folate Exercise Regularly: Engage in moderate physical activities like walking, swimming, or prenatal yoga, as approved by your healthcare provider. Regular exercise can help you maintain a healthy weight, reduce pregnancy discomfort, and improve your overall well-being Get Sufficient Rest: Aim for 7-9 hours of sleep each night. Listen to your body and take short naps during the day if needed Don’ts Avoid Harmful Substances: Steer clear of smoking, alcohol, and recreational drugs during pregnancy. These substances can have severe negative effects on your baby’s development Limit Caffeine Intake: While moderate caffeine consumption is generally safe, it’s best to limit your intake during pregnancy. Opt for decaffeinated beverages or herbal teas instead Say No to Stress: Minimize stress by practicing relaxation techniques such as deep breathing, meditation, or prenatal yoga. Surround yourself with a supportive network of family and friends Conclusion Choosing the best maternity hospital in Fatima Nagar, such as Inamdar Multispeciality Hospital, is a vital step towards ensuring a safe and comfortable pregnancy journey. Remember to follow the dos and don’ts mentioned above to prioritize your well-being and the health of your baby. By taking care of yourself and seeking expert medical guidance, you can embrace this transformative experience with confidence and joy.

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