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सर्दियों के दौरान 16 स्वस्थ भोजन अवश्य खाएं(16 Healthy Food Essentials During Winter in Hindi)

सर्दी वह मौसम है जब भारत में लोग इसके विविध शीतकालीन व्यंजनों और विशिष्टताओं का आनंद लेते हैं। बढ़ती भूख और धीमे मेटाबॉलिज्म के साथ, आपको अपने शरीर को ऊर्जा से भरने की जरूरत होती है। तो आज हम सर्दियों के दौरान 16 स्वस्थ भोजन अवश्य खाएं इस article में जानेंगे ऐसे 16 भोजन जो सर्दी में आपको स्वस्थ रखे सर्दियों के दौरान 16 स्वस्थ भोजन अवश्य खाएं(16 Must-Eat Healthy Foods During Winter) सर्दियों की शुरुआत के साथ ही ठंडी गुलाबी ठंडक में सैर करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगती है। यह सभी मौसमों में सबसे सुखद समय होता है, ताजी हवा और स्वस्थ वातावरण इस दौरान व्यायाम को शरीर के लिए अधिक फायदेमंद बनाते हैं। शरीर में नई कोशिकाओं का निर्माण तेज हो जाता है। सर्दियों का मौसम शरीर की मरम्मत और रख-रखाव के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इसलिए, अगर हमें आने वाले मौसम में फिट रहना है तो हमें वह पोषण लेना चाहिए जिसकी शरीर को जरूरत है। आजकल डेंगू और अन्य संक्रामक बीमारियाँ फैली हुई हैं। इस पर काबू पाने के लिए सर्दी सबसे अच्छा मौसम है। यह समय रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और अच्छे पाचन के लिए भी अच्छा है। इसलिए सर्दियों में आहार अधिक पौष्टिक होना चाहिए। अगर शरीर में सही मात्रा में ऊर्जा बनाए रखने वाले खाद्य पदार्थ लिए जाएं तो इस दौरान प्राप्त ऊर्जा हमें पूरे साल स्वस्थ रखने में काम आती है। आइए देखें इस दौरान क्या खाया जा सकता है. गुड़ खाये: चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल करना बेहतर है. यदि गुड़ की शिरा और शहद का प्रयोग किया जाए तो शरीर को अधिक गर्मी और खनिज मिलते हैं। बच्चों को उनका मनपसंद खाना गुड़ में बनाना चाहिए. गुड़ चीनी का विकल्प नहीं है, इसलिए जो लोग शुगर की समस्या से पीड़ित हैं उन्हें यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल किया जा सकता है। हरी सब्जियां: सर्दियों में मिलने वाली सब्जियां जैसे पालक और पत्तागोभी सेहत के लिए अच्छी होती हैं। जो Immune System को मजबूत कर सकता है. पालक और अन्य हरी सब्जियों में पाए जाने वाले कैरोटीनॉयड, बीटा कैरोटीन, ल्यूटिन और अन्य पोषक तत्व प्रतिरक्षा को बढ़ाते हैं और आपको सर्दियों के संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं। खट्टे फल खाये: हमारे Immune System को मजबूत करने के लिए Vitamine C और कई अन्य विशेष पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है और ये पोषक तत्व इस खट्टे फल में अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। सर्दियों में संतरा आपके Immune System के लिए बहुत फायदेमंद होता है, आप अपनी Immunity System को मजबूत बनाए रखने के लिए रोजाना एक संतरा या कोई अन्य खट्टे फल खा सकते हैं। Dry Fruits खाये: अगर आप अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाना चाहते हैं तो Dry Fruits का भी सेवन कर सकते हैं। बादाम, काजू, अखरोट और किशमिश जैसे सूखे फलों में प्रोटीन, पोटेशियम और कैल्शियम सहित कई आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं। Dry Fruits का सेवन करने से आप सर्दियों में बीमार होने से बच सकते हैं। Grains मतलब अनाज खाये: अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने के लिए अपने आहार में अनाज को शामिल करना महत्वपूर्ण है। यदि आप अपने आहार में साबुत अनाज को शामिल करते हैं, तो यह आपकी प्रतिरक्षा को मजबूत करने में भी मदद करेगा। क्योंकि यह मैग्नीशियम, आयरन और जिंक, विटामिन और प्रोटीन जैसे आवश्यक पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है। दूध से बने पदार्थ खाये: शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आहार में दूध, दही, पनीर और छाछ जैसे दूध से बने पदार्थ को शामिल करना जरूरी है। दूध से बने पदार्थ में Calcium से भरपूर होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। साथ ही, प्रोबायोटिक्स आदि Immune System को तेजी से मजबूत करने का काम करते हैं, जिससे आपको संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है। गरम मसाले खाये: भारतीय व्यंजनों में कई मसालों का इस्तेमाल किया जाता है. ये मसाले न सिर्फ आपके खाने का स्वाद बढ़ाते हैं बल्कि आपको कई स्वास्थ्य समस्याओं से भी बचाते हैं। ऐसे में आप सर्दियों में अपनी Immunity System को बढ़ाने के लिए अपने आहार में अदरक, हल्दी और दालचीनी को शामिल कर सकते हैं। इसमें सूजन-रोधी गुण होते हैं और यह आपको स्वस्थ रहने में मदद करता है। कींतु ध्यान रहे की गरम मसाले ज्यादा मात्रा में न खाये क्यूंकी इसकी ज्यादा मात्रा हमारे शरीर के लिये हानिकारक भी हो सकती है। शोरबा (soup) पिए: सर्दियों में स्वस्थ रहने के लिए खुद को ठंड से बचाना और गर्म रखना जरूरी है। ऐसे में सर्दियों के दौरान गर्म रहने के लिए आप टमाटर और सब्जियों से बने पौष्टिक सूप को अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं। यह आपको आवश्यक Vitamins और Minerals देने में मदद करेगा। ताजे और सूखे फल खाये: माना जाता है कि पपीता और अनानास गर्मी लाते हैं। आंवला विटामिन सी से भरपूर है और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए बहुत अच्छा है। इसीलिए सर्दियों में आंवले का जूस और आंवले का मुरब्बा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है। खजूर की प्रकृति गर्म होती है और सर्दियों के महीनों के दौरान इसकी अत्यधिक अनुशंसा की जाती है। ये न केवल Fiber, Iron, Magnesium, Calcium और Vitamine C और B3 का अच्छा स्रोत हैं, बल्कि ये ऊर्जा का भी अच्छा स्रोत हैं। उन्हें वैसे ही उपयोग करें जैसे वे हैं या उन्हें बर्फी, स्मूदी या मिल्कशेक और स्मूदी में जोड़ें। जड़ी-बूटियाँ धारक वनस्पती और बीज: तुलसी (तुलसी) एक जड़ी बूटी है जो सर्दी और बुखार से बचाती है और प्रतिरक्षा को मजबूत करने में मदद करती है। अदरक, (ताजा और सूखी किस्में) बहुत गर्म होती है। नींबू और नमक के साथ अदरक के टुकड़े भोजन के साथ खाना आम बात है, जबकि अदरक को चाय, दाल और सब्जियों में मिलाया जा सकता है। गुड़ और घी के साथ छोटी-छोटी कलछी में बना सोंठ का पाउडर सर्दियों की सर्दी से लड़ने के लिए बहुत अच्छा है। तिल के लड्डू और तिल की चिक्की को भारतीयों के लिए किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। जब आप

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Unraveling the Vital Role of a Physiotherapist

In the realm of healthcare, physiotherapists play a pivotal role in enhancing the well-being and quality of life of individuals of all ages. This is particularly true when it comes to pediatric care, where specialized professionals work tirelessly to address developmental challenges and promote optimal growth. Inamar Hospital, renowned for its commitment to excellence, stands as a beacon of hope for parents seeking the best pediatric physiotherapy care in Fatima Nagar, NIBM, Kondhwa, and Wanowrie. Understanding The Core Role of a Physiotherapist Physiotherapists, often referred to as physical therapists, are healthcare professionals trained to optimize movement and function. While their roles are diverse, one of the key areas where their expertise shines is in pediatric care. The best pediatric physiotherapy doctors in Fatima Nagar, NIBM, Kondhwa, and Wanowrie are crucial contributors to a child’s overall development. Roots To Wings Child Development Center at Inamar Hospital Inamar Hospital stands out as a premier healthcare institution, providing holistic Roots to Wings Child Development Center in Fatima Nagar, NIBM, Kondhwa, and Wanowrie. Within this center, physiotherapists play a central role in addressing developmental delays, motor skill challenges, and other conditions that may affect a child’s physical abilities. Assessment and Intervention The journey begins with a thorough assessment by skilled physiotherapists. By evaluating a child’s motor skills, coordination, and overall physical abilities, they can identify areas that require intervention. The best pediatric physiotherapists in Fatima Nagar, NIBM, Kondhwa, and Wanowrie at Inamar Hospital utilize evidence-based approaches to tailor interventions to each child’s unique needs. Tailored Treatment Plans Physiotherapists at Inamar Hospital understand that one size does not fit all when it comes to pediatric care. They craft individualized treatment plans that may include exercises, stretches, and activities designed to promote strength, flexibility, and coordination. These plans are not only effective but also enjoyable, ensuring that children remain engaged in their therapy. Collaborative Approach One of the distinguishing features of Inamar Hospital’s Child Development Center is its commitment to a multidisciplinary approach. Physiotherapists collaborate closely with other healthcare professionals, including pediatricians, occupational therapists, and speech therapists, to address all facets of a child’s development comprehensively. Family-Centered Care Recognizing the crucial role families play in a child’s development, physiotherapists at Inamar Hospital involve parents and caregivers in the therapeutic process. They guide home exercises and offer support to empower families to actively participate in their child’s well-being. Holistic Growth Beyond addressing specific challenges, the best pediatric physiotherapists in Fatima Nagar, NIBM, Kondhwa, and Wanowrie at Inamar Hospital contribute to the holistic growth of children. By fostering improved motor skills, physical confidence, and overall well-being, they pave the way for children to reach their full potential. Conclusion In conclusion, the main role of a physiotherapist in pediatric care is to be a catalyst for positive change, promoting optimal development and well-being. Inamar Hospital, with its esteemed team of physiotherapists, stands as a beacon of excellence, providing unparalleled care for children in Fatima Nagar, NIBM, Kondhwa, and Wanowrie. For parents seeking the best for their children, Inamar Hospital’s Child Development Center is a testament to the transformative power of expert pediatric physiotherapy.

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Autism Indicators: A Guide for Parents

Introduction As parents, our children’s well-being is our top priority. It’s natural to have concerns about their development and behavior. Autism Spectrum Disorder (ASD) is a neurodevelopmental condition that affects communication, social interaction, and behavior. Early intervention is key to providing the best support and resources for children with autism. In this blog, brought to you by Roots to Wings Child Development Center at Inamdar Hospital, we’ll discuss some crucial indicators that parents may observe in their children, which could be early signs of autism. Communication Challenges One of the earliest indicators of autism is difficulty with communication. Parents may notice that their child: Doesn’t respond to their name as often as other children Doesn’t point or wave by 12 months Has difficulty making eye contact Struggles with speaking or understanding language for their age Social Interaction Difficulties Children with autism may exhibit social interaction challenges, such as: Difficulty in making friends or showing little interest in playing with peers Limited expressions of emotions and difficulty understanding others’ emotions Unusual reactions to sensory input (e.g., being overly sensitive to light, sound, or touch) Repetitive Behaviors Repetitive behaviors and routines are common in children with autism. Parents may notice: Repeated movements like hand-flapping or body rocking. An insistence on sameness or specific routines. Focusing intensely on a particular interest, often to the exclusion of everything else. Language Delay Many children with autism experience a delay in language development. Parents might observe: Limited vocabulary or difficulty in putting words together into sentences Echolalia, where the child repeats words or phrases they hear Challenges in understanding and using non-verbal cues like facial expressions and gestures Avoiding Eye Contact Difficulty with eye contact is a hallmark of autism. Children may avoid making eye contact or seem uninterested in faces, even those of their caregivers. Conclusion If you notice these autism indicators in your child, it’s essential to seek guidance from healthcare professionals, such as those at Roots to Wings Child Development Center at Inamdar Hospital. Early intervention can make a significant difference in a child’s development and improve their long-term outcomes. Remember that every child is unique, and development varies. Not all children showing these indicators will have autism, but recognizing these signs early can lead to timely assessments and interventions. Roots to Wings Child Development Center is here to provide the support and guidance you need, so don’t hesitate to reach out for assistance and answers to your questions. Your child’s journey is a shared one, and with the right resources and professional guidance, you can provide the best support for their unique needs.

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The Benefits of Pediatric Occupational Therapy

Introduction In a world where the development of our children is paramount, ensuring they grow up to be happy, well-adjusted individuals is a top priority for parents and caregivers. Every child is unique, and sometimes they may require a little extra support to reach their full potential. Pediatric Occupational Therapy is a vital resource that can make a significant difference in a child’s life. At Roots to Wings Child Development Center at Inamdar Hospital in Pune, our team of dedicated Occupational Therapists focuses on nurturing children beyond their symptoms. Let’s explore the manifold benefits of Pediatric Occupational Therapy and the unparalleled expertise of the best Pediatric Occupational Therapy doctors in Pune. Understanding Pediatric Occupational Therapy Pediatric Occupational Therapy, commonly referred to as OT, is a holistic and client-centered approach to address the developmental needs of children. The primary goal is not just to treat specific symptoms, but to help children develop essential life skills, improve their overall quality of life, and maximize their potential. Benefits of Pediatric Occupational Therapy Enhancing Daily Living Skills– One of the fundamental areas of focus for Pediatric Occupational Therapy is helping children acquire the necessary skills to perform daily tasks with ease. This includes teaching children to dress themselves, brush their teeth, eat independently, and maintain personal hygiene. These seemingly simple skills lay the foundation for greater independence and self-esteem in the future. Improving Fine and Gross Motor Skills– Occupational Therapists work to improve both fine and gross motor skills, which are crucial for a child’s physical development. Fine motor skills involve tasks like handwriting, buttoning a shirt, or using utensils, while gross motor skills are needed for activities such as walking, running, and playing sports. By developing these skills, children can participate more actively in school, sports, and social activities. Supporting Sensory Processing– Sensory processing is integral to a child’s ability to interact with the world. Occupational Therapists help children who may be oversensitive or undersensitive to sensory stimuli. By addressing sensory processing issues, they enable children to better regulate their responses to different sensory inputs, leading to improved focus, attention, and behavior. Promoting Emotional and Social Well-being– OT doesn’t just focus on physical aspects; it also emphasizes emotional and social well-being. Therapists work with children to develop self-esteem, resilience, and the ability to build positive relationships. As children become more confident and capable in their abilities, they are more likely to form meaningful connections with their peers. Enhancing Cognitive Development– Occupational Therapists engage children in activities that stimulate cognitive development. These activities can include problem-solving, memory enhancement, and improving attention span. Strengthening cognitive abilities can help children perform better academically and adapt to various learning environments. Individualized Therapy Plans– At Roots to Wings Child Development Center at Inamdar Hospital, the best Pediatric Occupational Therapy doctors in Pune understand that every child is unique. They create individualized therapy plans tailored to each child’s specific needs, goals, and abilities. This personalized approach ensures that every child receives the attention and support they require to thrive. Conclusion Pediatric Occupational Therapy goes beyond merely addressing symptoms. It aims to empower children by nurturing their development and enabling them to lead fulfilling lives. The best Pediatric Occupational Therapy doctors in Pune, such as those at Roots to Wings Child Development Center at Inamdar Hospital, are dedicated to making a difference in the lives of children. If you have concerns about your child’s development, consider consulting an Occupational Therapist to explore the potential benefits of this invaluable therapy. In the journey of helping your child reach his or her full potential, Pediatric Occupational Therapy plays a pivotal role. It’s not just about addressing symptoms; it’s about nurturing the whole child and giving them the tools to succeed in life. Remember, every child has roots, and with the right support, they can soar and find their wings.

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Is Laser Treatment Good for Piles?

Introduction Hemorrhoids, commonly known as piles, are a painful and uncomfortable condition that affects millions of people worldwide. While they can often be managed with lifestyle changes and conservative treatments, some cases may require surgical intervention. Laser treatment for piles has gained popularity as a minimally invasive and effective option. In this blog, we will explore the benefits and considerations of laser treatment for piles and discuss its suitability for different patients. To provide expert insights, we’ll refer to the expertise of Inamdar Multispeciality Hospital Pune. Understanding Piles Piles are swollen and inflamed blood vessels in the rectum and anus, leading to discomfort, pain, bleeding, and itching. They can be classified into two types: internal and external. Internal piles are located inside the rectum, while external piles occur outside the anus. Traditional Surgical Options Traditional surgical treatments for piles include hemorrhoidectomy and rubber band ligation. These procedures involve cutting or tying off blood vessels to remove the hemorrhoids. While effective, they can be associated with significant pain and a longer recovery period. Laser Treatment for Piles Laser treatment for piles, also known as laser hemorrhoidoplasty or laser hemorrhoidectomy, is a modern and less invasive approach to treating hemorrhoids. It involves using a laser to precisely target and shrink the hemorrhoidal tissue. This method offers several advantages over traditional surgery: Minimal Pain: Laser treatment is associated with minimal post-operative pain compared to conventional surgery. Patients often experience less discomfort during the recovery process. Shorter Recovery Time: The recovery time for laser treatment is typically shorter, allowing patients to return to their daily activities sooner. Reduced Bleeding: Laser treatment cauterizes blood vessels during the procedure, reducing the risk of post-operative bleeding. Lower Risk of Infection: Since laser treatment is less invasive, the risk of infection is generally lower. Outpatient Procedure: Laser treatment can often be performed as an outpatient procedure, reducing the need for an overnight hospital stay. Suitability for Patients Laser treatment for piles is considered suitable for a wide range of patients, including those with: Mild to Severe Hemorrhoids: Laser treatment can be adapted to address both internal and external hemorrhoids, regardless of their severity. Medical Conditions: Patients with underlying medical conditions that may increase the risk of complications during traditional surgery may benefit from laser treatment. Piles in Pregnant Women: Pregnant women experiencing hemorrhoids can opt for laser treatment, as it is generally safe for both the mother and the unborn child. Conclusion Inamdar Multispeciality Hospital Pune is a renowned healthcare institution that offers a comprehensive range of services, including the treatment of piles using laser technology. Their team of experienced and skilled physicians can provide personalized guidance and recommendations for patients considering laser treatment for piles. In conclusion, laser treatment for piles is a viable and effective option for many individuals suffering from this painful condition. It offers several advantages over traditional surgical methods, including reduced pain, shorter recovery times, and a lower risk of complications. However, the suitability of laser treatment should be determined on a case-by-case basis, taking into consideration the patient’s specific condition and medical history. If you are considering laser treatment for piles, it is essential to consult with a healthcare professional, such as those at Inamdar Multispeciality Hospital Pune, to discuss your options and receive personalized care.

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 महिलाओं के लिए क्यों ज़रूरी है एचपीवी वैक्सीन?

भारत में स्तन और मुंह के कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर सबसे आम प्रकार का कैंसर है। दुनिया के 25 प्रतिशत मरीज अकेले भारत में हैं। यह कैंसर कम उम्र यानि तीस साल की उम्र में भी हो सकता है। बहुत कम उम्र में सेक्स, कम रोग प्रतिरोधक क्षमता, लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन या धूम्रपान कैंसर के प्रमुख कारण हैं। प्रमुख लक्षणों में दो माहवारी के बीच रक्तस्राव, रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव, अत्यधिक और अनावश्यक योनि स्राव, संभोग के बाद रक्तस्राव, पेट में दर्द शामिल हैं।एचपीवी आमतौर पर यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है। लेकिन यह संक्रमण जननांग और मुंह के क्षेत्रों में त्वचा से त्वचा के संपर्क के कारण भी हो सकता है। आमतौर से  80% लोग अपने जीवन में कम से कम एक बार इस वायरस से प्रभावित होते हैं। यह आसानी से संक्रमित होता है और उतनी ही आसानी से फैलता भी है। इसके अलावा, जब आप पहली बार किसी भी प्रकार का संभोग करते हैं तो यह संक्रामक हो जाता है। एचपीवी के लगभग 200 प्रकार हैं। उनमें से लगभग 40 गुप्तांगों के पास पाए जाते हैं। उनमें से कुछ मस्से पैदा कर सकते हैं। लेकिन वे गंभीर या खतरनाक नहीं हैं. करीब 13 गंभीर श्रेणी में आते हैं। इससे गर्भाशय, गुप्तांग, मुंह या गले का कैंसर हो सकता है। लेकिन वे दुर्लभ हैंl क्यों ज़रूरी है एचपीवी वैक्सीन? एचपीवी वैक्सीन एक कैंसर निवारक है। एचपीवी वैक्सीन बहुत अच्छा काम करता है। एचपीवी वैक्सीन में 90% से अधिक एचपीवी-जिम्मेदार कैंसर को रोकने की क्षमता है।एचपीवी वैक्सीन से युवा महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा के प्रीकैंसर के मामलों की संख्या में भी कमी आई है।एचपीवी टीकों द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा लंबे समय तक रहती है।2006 में पहली बार एचपीवी टीकाकरण की सिफारिश की गई थी, एचपीवी प्रकार के संक्रमण जो अधिकांश एचपीवी कैंसर और जननांग मौसा का कारण बनते हैं, किशोर लड़कियों में 88% और युवा वयस्क महिलाओं में 81% कम हो गए हैं। जिन लोगों को एचपीवी वैक्सीनटीके मिले, उन पर कम से कम 12 वर्षों तक नजर रखी गई और उन्हे कोई खत्रा दिखाई दिया नही इसलिये यह बहुत सुरक्षित है । एचपीवी वैक्सीन कब दी जाती है ? 11-12 साल की उम्र में एचपीवी टीकाकरण की सिफारिश की जाती है। एचपीवी टीके 9 साल की उम्र से दिए जा सकते हैं। सभी प्रीटीन्स को एचपीवी टीकाकरण की आवश्यकता होती है, ताकि वे एचपीवी संक्रमण से सुरक्षित रहें जो बाद में जीवन में कैंसर का कारण बन सकता है। 27  वर्ष से अधिक उम्र के बाद महिलाको , जिन्होंने एचपीवी वैक्सीन श्रृंखला शुरू या समाप्त नहीं की है, उन्हें भी एचपीवी टीकाकरण की आवश्यकता होती है। एचपीवी वैक्सीन डॉक्टर कार्यालयों, सामुदायिक स्वास्थ्य क्लीनिकों, स्कूल-आधारित स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य विभागों में उपलब्ध हो सकता है। Inamdar Multispeciality Hospital पुणे में इनामदार मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल(Inamdar Multispeciality Hospital) एक अत्याधुनिक अस्पताल है जो कम लागत पर सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है। यहां डॉक्टरों की टीम अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता और समर्पण के लिए जानी जाती है। अस्पताल की पूरी टीम मरीजों की देखभाल करने और उनके परिवारों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। रोगी की देखभाल एक परिवार की तरह की जाती है ताकि समय पर दवा उपचार से रोगी जल्द से जल्द ठीक हो सके। पुणे के इनामदार मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल(Inamdar Multispeciality Hospital)केंद्र में स्थित और अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ, इनामदार मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल सभी बीमारियों के लिए उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है।

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महिलांसाठी एचपीव्ही लस का महत्त्वाची आहे?

संशोधनानुसार, जागतिक स्तरावर गर्भाशयाच्या मुखाच्या कर्करोगाच्या एकूण 27 टक्के प्रकरणे भारतातील आहेत, जी जगातील महिला लोकसंख्येच्या 16-17 टक्के आहेत. तसेच, गर्भाशयाच्या मुखाचा कर्करोग हा महिलांमधील दुसऱ्या क्रमांकाचा सर्वात सामान्य कर्करोग आहे. या कर्करोगामुळे भारतात दरवर्षी 1.23 लाख नवीन प्रकरणे येतात आणि सुमारे 77,000 मृत्यूची नोंद होते. गर्भाशयाच्या मुखाच्या कर्करोगाने दर आठ मिनिटांनी एका महिलेचा मृत्यू होतो. त्यामुळे 30 ते 60 वयोगटातील सर्व महिलांनी HPV चाचणीद्वारे तपासणी करणे आवश्यक आहे. नियमित रोगप्रतिकारक शक्ती असलेल्या महिलांमध्ये गर्भाशयाच्या मुखाचा कर्करोग होण्यासाठी 15 ते 20 वर्षे लागतात. तर कमकुवत प्रतिकारशक्ती असलेल्या महिलांना ५ ते १० वर्ष लागतात. HPV लसीकरण आणि नियमित गर्भाशय ग्रीवाची तपासणी हे गर्भाशयाच्या मुखाचा कर्करोग टाळण्यासाठी सर्वात प्रभावी मार्ग आहेत. म्हणून  सर्व मुलांच्या पालकांना HPV लसीकरणाबद्दल माहिती असणे आवश्यक आहे.  लसीकरणासाठी कोणत्या वयात करावी? भारतात नऊ ते २६ वयोगटातील मुली आणि मुलांसाठी ही लस मंजूर आहे. मुलींनी 12 ते 26 वयोगटात असताना  लसीकरण करून घ्यावे. महिलांनी लैंगिकदृष्ट्या सक्रिय होण्यापूर्वी आणि एचपीव्हीच्या संपर्कात येण्यापूर्वी लस घेतली पाहिजे. लैंगिकदृष्ट्या सक्रिय असलेल्या महिलांना देखील लसीकरणाचा फायदा होऊ शकतो, परंतु त्यांना कमी फायदा होऊ शकतो.  एचपीव्हीमुळे खालील  कर्करोग होऊ शकतो: स्त्रियांमध्ये गर्भाशय ग्रीवा, योनी आणि योनी पुरुषांमध्ये पुरुषाचे जननेंद्रिय पुरुष आणि स्त्रिया दोघांमध्ये गुद्द्वार पुरुष आणि स्त्रिया दोघांमध्ये घशाचा मागील भाग, जीभ आणि टॉन्सिल्स एचपीव्ही लस का महत्त्वाची आहे एचपीव्ही लसी करणामुळे किशोरवयीन मुलींमध्ये, बहुतेक एचपीव्ही कर्करोग आणि जननेंद्रियाच्या चामण्यांना कारणीभूत असलेल्या एचपीव्ही प्रकारांचे संक्रमण 88 टक्के कमी झाले आहे. तरुण प्रौढ महिलांमध्ये, एचपीव्ही प्रकारांचे संक्रमण ज्यामुळे बहुतेक एचपीव्ही कर्करोग होतात आणि जननेंद्रियाच्या 81 टक्के कमी झाले आहेत. लसीकरण केलेल्या महिलांमध्ये, गर्भाशयाच्या मुखाच्या कर्करोगाशी संबंधित एचपीव्ही प्रकारांमुळे होणा-या गर्भाशयाच्या ग्रीवेच्या पूर्व कर्करोगाची टक्केवारी 40 टक्क्यांनी घसरली आहे. HPV लस कशी दिली जाते ? HPV लस वयाच्या 9 वर्षापासून दिली जाऊ शकते. 11-12 वर्षे वयोगटातील मुलांना HPV लसीचे दोन डोस 6 ते 12 महिन्यांच्या अंतराने दिले पाहिजेत. ज्या मुलांना HPV लस मालिका त्यांच्या 15 व्या वाढदिवसाला किंवा नंतर सुरू केली जाते त्यांना तीन डोस आवश्यक असतात, 6 महिन्यांपेक्षा अंतराने किंवा जास्त. कर्करोगापासून बचावासाठी एचपीव्ही लस  महत्त्वाची आहे. आजच आपल्या मुलीचे लसीकरण करून घ्यावे. Inamdar Multispecialty Hospital पुण्यातले इनामदार मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल (Inamdar Multispecialty Hospital, Pune) हे एक अत्याधुनिक सेवा देणारे व कमी खर्चात सर्वोत्कृष्ट आरोग्यसेवा प्रदान करणारे  हॉस्पिटल आहे. येथे असणारी डॉक्टरांची टीम ही सामाजिक बांधिलकी जपणारी आणि पूर्णपणे समर्पण देऊन काम करणारी म्हणून ओळखली जाते. रुग्णाची काळजी घेणे व त्यांच्या कुटुंबाला आधार देणे यासाठी हॉस्पिटलची सर्व टीम वचनबध्द आहे. वेळेत औषध उपचार करून रुग्णाला लवकरात लवकर आराम पडावा यासाठी रुग्णाची कुटुंबासारखी काळजी घेतली जाते. पुण्याच्या केंद्रस्थानी असलेले आणि अत्याधुनिक पायाभूत सुविधा असलेले  इनामदार मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल सर्व आजारांवर उत्कृष्ट आरोग्यसेवा प्रदान करते.  

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प्रसूतीनंतर आईचा आहार कसा असावा(What should be the Postpartum Diet)?

आई होणे ही अत्यंत आनंददायक गोष्ट आहे. जगात प्रत्येक स्त्रीला आई व्हावेसे वाटते। मग ती गरीब किंवा श्रीमंत जगातली कोणतीही स्त्री असो, दोघींच्याही आईपणाच्या भावना सारख्याच असतात. मात्र प्रसूतीनंतर म्हणजे बाळ झाल्यानंतर आईची जबाबदारी जास्त वाढते. कारण बाळ मोठे होईपर्यंत, वरचे दूध किंवा इतर अन्नघटक त्याच्या पोटात जाईपर्यंत त्याचे भरण पोषण आईच्या स्तनपानावरच चालते. त्यामुळेच आईला स्वतःचे आरोग्य त्याचप्रमाणे बाळाचे आरोग्य चांगले रहावे मजबूत राहावे यासाठी योग्य आहार करणे अत्यंत गरजेचे आहे. प्रसूती काळात आईची शारीरिक झीज प्रचंड प्रमाणात झालेली असते. ही झीज भरून येणे सुद्धा तितकेच महत्त्वाचे असते. अनेकदा बाळाला स्तनपान केल्यानंतर स्त्रीला  थकून गेल्यासारखे वाटणे, गळा ठरल्यासारखे वाटणे, डोळ्यासमोर अंधारी येणे चक्कर येणे यासारख्या गोष्टी प्रकर्षाने जाणवतात. याचा अर्थ तुमच्या शरीराची स्थिती अॅनीमिक आहे हे ओळखावे. याचसाठी महिलांना सकस आणि आरोग्यवर्धक आहाराची अत्यंत आवश्यकता असते. आजकालच्या काळात जंक फूड, फ्रोजन फुड, बाहेरचे चमचमीत खाणे याकडे स्त्रियांचा कल जास्त असतो. परंतु या कोणत्याही गोष्टींमधून पोषण आहार तर मिळणार नाहीच, पण या गोष्टी तुमच्या आणि तुमच्या बाळाच्या प्रकृतीला हानिकारक ठरू शकतात. त्यामुळे काही महिने तरी संयम बाळगा आणि डॉक्टरांनी सुचवलेला योग्य आहार घ्या.  प्रसूतीनंतर आईचा आहार कसा असावा? प्रसुतीनंतर  सर्वात महत्त्वाचा घटक म्हणजे लोह. प्रसूतीपूर्वी आणि प्रसूती नंतरही आहारासोबत तिने शरीरातील लोह वाढवणाऱ्या गोळ्या घेतल्या पाहिजेत. त्याचा फायदा तिला आणि तिच्या बाळाला होईल. बाळंतपणानंतर दोन ते तीन महिने या गोळ्या चालू ठेवाव्यात. या गोळ्या मनाने न घेता डॉक्टरांनी सुचवल्या प्रमाणे घ्याव्या. आहारातही  हिरव्या पालेभाज्या, डाळी, नाचणीमासे मटन खावे. प्रसूती झाल्यानंतर डॉक्टरांनी दिलेल्या कॅल्शियम गोळ्याही खाव्यात. तसेच दुध आणि दुग्ध जन्य पदार्थ खावे. काही स्त्रियांमध्ये ओटीपोटात अधिक दुखते. पाठ-कंबर दुखण्याच्या तक्रारी वाढतात. त्यामुळे चहा-कॉफी किंवा मसालेदार पदार्थांचे सेवन कमी करावे. सकस आहार घेणे खूप गरजेचे असते. फळांचे नियमित सेवन करावे, फळात विशिष्ट खनिज, जीवनसत्त्व, आणि फायबर असते. सर्व रंगांची फळे खावीत. सुकामेवा खाल्ल्याने पण खूप फायदा होतो. परंतु तो योग्य प्रमाणात खावा. बदाम भिजवून खावेत. काळे मनुके भिजवून खाल्ल्याने पोट साफ राहण्यास मदत होते.  जिरे आणि ओवा पचनक्रिया स्वस्थ राहण्यास मदत करतात. तसेच जेवल्यावर बडीशेप सुद्धा खावी. मेथीचे दाने, तीळ, डिंकाचे लाडू हे शक्ती वाढवण्यास मदत करतात. शरीरातली झीज भरून काढण्यासाठी मदत होते, पण त्याचे प्रमाण योग्य असावे.  प्रसुतीनंतर बाळाच्या प्रत्येक अनेक गोष्टीकडे स्त्रियांचे लक्ष असते. पण बाळाबरोबर स्वत:ची काळजी घेणे पण महत्वाचे असते. सहा महिन्यांनी डॉक्टरांकडे जाऊन भेट देणे जास्त योग्य ठरते.  Inamdar Multispeciality Hospital पुण्यातले इनामदार मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल (Inamdar Multispecialty Hospital, Pune) हे एक अत्याधुनिक सेवा देणारे व कमी खर्चात सर्वोत्कृष्ट आरोग्यसेवा प्रदान करणारे  हॉस्पिटल आहे. येथे असणारी डॉक्टरांची टीम ही सामाजिक बांधिलकी जपणारी आणि पूर्णपणे समर्पण देऊन काम करणारी म्हणून ओळखली जाते. रुग्णाची काळजी घेणे व त्यांच्या कुटुंबाला आधार देणे यासाठी हॉस्पिटलची सर्व टीम वचनबध्द आहे. वेळेत औषध उपचार करून रुग्णाला लवकरात लवकर आराम पडावा यासाठी रुग्णाची कुटुंबासारखी काळजी घेतली जाते. पुण्याच्या केंद्रस्थानी असलेले आणि अत्याधुनिक पायाभूत सुविधा असलेले  इनामदार मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल सर्व आजारांवर उत्कृष्ट आरोग्यसेवा प्रदान करते.  

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Rejuvenating Your Skin with CO2 Fractional Laser Treatment at Inamdar Hospital

Introduction In the pursuit of youthful and radiant skin, many individuals turn to cosmetic procedures. One such revolutionary treatment is CO2 fractional laser therapy. Inamdar Hospital, a renowned medical institution, offers this cutting-edge technology to help individuals achieve remarkable skin rejuvenation results. With its state-of-the-art facilities and experienced medical professionals, Inamdar Hospital provides a safe and effective environment for CO2 fractional laser treatment, ensuring optimal outcomes for patients. Understanding CO2 Fractional Laser Treatment CO2 fractional laser treatment is a minimally invasive procedure designed to address various skin concerns, including wrinkles fine lines scars uneven skin texture This advanced technique utilizes carbon dioxide lasers to create microscopic channels in the skin, stimulating the body’s natural healing process and promoting collagen production. The laser energy delivered to the targeted areas triggers controlled damage to the skin, encouraging the growth of healthier, smoother, and more youthful-looking skin. Inamdar Hospital: Pioneers in CO2 Fractional Laser Therapy Inamdar Hospital is at the forefront of cosmetic dermatology, and its commitment to providing high-quality care is exemplified by its CO2 fractional laser treatment. The hospital boasts a team of skilled dermatologists and technicians who are well-versed in the intricacies of this procedure. They combine their expertise with state-of-the-art equipment to deliver exceptional results. Inamdar Hospital maintains a patient-centric approach, ensuring that each individual’s specific needs and concerns are addressed, resulting in personalized treatment plans that yield the best possible outcomes. The Benefits of CO2 Fractional Laser Treatment CO2 fractional laser treatment offers numerous benefits to patients seeking skin rejuvenation. Firstly, it effectively reduces the appearance of wrinkles, fine lines, and age spots, resulting in smoother and more youthful-looking skin. Additionally, It can significantly improve the texture and tone of the skin Reducing the visibility of acne scars Surgical scars Blemishes This treatment also stimulates collagen production, which helps improve the skin’s elasticity and firmness. The procedure is safe and relatively quick, with minimal downtime, making it an appealing option for individuals with busy lifestyles. Patient Experience and Aftercare At Inamdar Hospital, patient comfort and satisfaction are of utmost importance. Before undergoing CO2 fractional laser treatment, patients receive a comprehensive consultation where their concerns and goals are thoroughly discussed. During the procedure, patients may experience a mild prickling or warm sensation, which is well-tolerated. Following the treatment The medical team provides detailed post-care instructions Gentle skincare routines and sun protection measures While some temporary redness Swelling may occur These subside within a few days Revealing fresher Rejuvenated skin Conclusion CO2 fractional laser treatment at Inamdar Hospital is a state-of-the-art solution for achieving youthful and radiant skin. With their expertise and advanced technology, patients can confidently embark on their rejuvenation journey.

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स्त्रियांना रजोनिवृत्ती(Menopause) का होते, त्याची लक्षणे कोणती, कोणत्या वयात सुरू होतात

रजोनिवृत्तीची(Menopause) सुरुवात साधारणपणे 45 ते 50 या वयात स्त्रियांमध्ये होते, याचा अर्थ प्रत्येक महिन्याला येणारी मासिक पाळी पूर्ण थांबते. जर एखाद्या महिलेला सलग 12 महिने मासिक पाळी येत नसेल, तर ती रजोनिवृत्तीपर्यंत पोहोचली आहे असे म्हणतात. रजोनिवृत्तीपूर्वी(Menopause) महिलांना अनेक प्रकारची लक्षणे जाणवू शकतात.. यासोबतच महिलांमध्ये इस्ट्रोजेन, प्रोजेस्टेरॉन आणि टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन्सची पातळीही कमी होते. यामुळे स्त्रीमधील प्रजनन प्रक्रिया थांबते. रजोनिवृत्तीची लक्षणे, आणि ती  कोणत्या वयात सुरू होते ते  जाणून घेऊया. रजोनिवृत्ती(Menopause) कोणत्या वयात सुरू होते? रजोनिवृत्तीची(Menopause) सुरुवात सरासरी 45 ते 50 वर्षे वयाच्या आसपास होते, परंतु काहीवेळा ती वयाच्या 40 व्या वर्षीही होऊ शकते, ज्याला अकाली रजोनिवृत्ती म्हणतात. सुमारे 5% स्त्रिया लवकर रजोनिवृत्तीमध्ये जातात, 40 ते 45 वयोगटातील लक्षणे अनुभवतात. एक टक्का स्त्रिया 40 वर्षांच्या आधी अकाली रजोनिवृत्तीमध्ये जातात.स्त्रीला कोणत्या वयात रजोनिवृत्ती येईल हे मुख्यतः तुमच्या जनुकांवर अवलंबून असते. लोक रजोनिवृत्तीचा अनुभव वेगळ्या प्रकारे घेतात. सुरुवातीच्या वयातील काही ट्रेंड आणि लक्षणे तुमचे वय वाढल्यावर काय अपेक्षा करावी याबद्दल काही मार्गदर्शन देऊ शकतात.  जसजसे तुमचे वय वाढत जाते तसतसे तुमच्या अंडाशयात इस्ट्रोजेन आणि प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन्स कमी होतात. या हार्मोन्सशिवाय, मासिक पाळी काही काळासाठी अनियमित होते आणि नंतर थांबते.सहसा रजोनिवृत्ती सुरू होण्यापूर्वी तीन ते पाच वर्षे असते. याला पेरिमेनोपॉज म्हणतात. पेरीमेनोपॉज तुम्ही रजोनिवृत्तीमध्ये प्रवेश करण्यापूर्वी 10 वर्षांपर्यंत सुरू होऊ शकते.रजोनिवृत्तीला कारणीभूत होणारे शारीरिक बदल वयाच्या 40 व्या वर्षी सुरू होऊ शकतात किंवा 50 च्या उत्तरार्धापर्यंत सुरू होऊ शकत नाहीत. रजोनिवृत्तीची(Menopause) लक्षणे अनियमित मासिक पाळी योनीत  कोरडेपणा वजन वाढणे उष्ण गरम वाफा रात्री घाम येणे निद्रानाश स्वभावात हळवेपणा आणि चीडचीडेपणा  डोकेदुखी भूक कमी होणे ,अपचन  कोरड्या त्वचेची समस्या जास्त केस गळणे वाढलेली हृदय गती रजोनिवृत्तीची कारणे इस्ट्रोजेन आणि प्रोजेस्टेरॉनच्या उत्पादनात नैसर्गिक घट होते. यांच्यामुळे  मासिक पाळीचे नियमित होत असते .पूर्ण हिस्टरेक्टॉमी ही एक प्रक्रिया आहे जेव्हा गर्भाशय आणि अंडाशय दोन्ही काढून टाकले जातात आणि त्यामुळे रजोनिवृत्ती होऊ शकते. गर्भाशय किंवा अंडाशयात इतर संबंधित समस्या असल्यास ती येते . कर्करोगाच्या रुग्णांमध्ये केमोथेरपी किंवा रेडिएशन थेरपीमुळे रजोनिवृत्ती होऊ शकते. रजोनिवृत्ती आजार नाही पण जर तुम्हाला वर नमूद केलेली लक्षणे दिसली तर तुम्ही डॉक्टरांना भेट दिली पाहिजे. रजोनिवृत्ती दरम्यान आणि नंतर डॉक्टरांनी भेटायला सांगितले तर नक्कीच भेटत राहा. रजोनिवृत्तीनंतर योनीतून रक्तस्त्राव होत असेल तर ही गोष्ट सामान्य नाही. काही महिलांना वयाच्या ४० व्या वर्षीही मासिक पाळी येणे अनेक महिने थांबते. या प्रकरणात, विलंब न करता डॉक्टरांचा सल्ला घ्या. कोलोनोस्कोपी, मॅमोग्राफी आणि ट्रायग्लिसराइड स्क्रीनिंग, थायरॉईड चाचणीचा सल्ला डॉक्टर देऊ शकतात. Inamdar Multispeciality Hospital पुण्यातले इनामदार मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल (Inamdar Multispecialty Hospital, Pune) हे एक अत्याधुनिक सेवा देणारे व कमी खर्चात सर्वोत्कृष्ट आरोग्यसेवा प्रदान करणारे  हॉस्पिटल आहे. येथे असणारी डॉक्टरांची टीम ही सामाजिक बांधिलकी जपणारी आणि पूर्णपणे समर्पण देऊन काम करणारी म्हणून ओळखली जाते. रुग्णाची काळजी घेणे व त्यांच्या कुटुंबाला आधार देणे यासाठी हॉस्पिटलची सर्व टीम वचनबध्द आहे. वेळेत औषध उपचार करून रुग्णाला लवकरात लवकर आराम पडावा यासाठी रुग्णाची कुटुंबासारखी काळजी घेतली जाते. पुण्याच्या केंद्रस्थानी असलेले आणि अत्याधुनिक पायाभूत सुविधा असलेले  इनामदार मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल सर्व आजारांवर उत्कृष्ट आरोग्यसेवा प्रदान करते.  

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